अजय तिवारी ” शिवदान ” की कविता : ” ठूंठ “
” ठूंठ “ लहलहाता था, छाया भी देता था। हवा बहाता था, ठंड पहुंचाता था।
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दीपा ओझा की कविता : “मैं स्त्री हूँ”
“मैं स्त्री हूँ” मैं स्त्री हूँ सुना था कभी लोगों से देवी स्वरूप हूँ क्योंकि
रिया सिंह की कविता : “ज्ञान की देवी”
“ज्ञान की देवी” जो जड़ में भी, चेतना का विस्तार कर दे अपने ज्ञान की
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खांटी खड़गपुरिया की कविता : खिलखिलाता रहे खड़गपुर…!!
कोरोना काल में भी शारदीय नवरात्र के उत्सव ने खांटी खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा में
अभिषेक पाण्डेय की कविता : “हिंदी का हो रहा सोलह श्रृंगार”
“हिंदी का हो रहा सोलह श्रृंगार” ‘इंग्लिश’ लगाती पैरों में महावर ‘भोजपुरी’ ने हाथों में
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हावड़ा के अभिषेक पाण्डेय बने “हिंदी हैं हम” कविता प्रतियोगिता के विजेता
पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर दिनांक 14.9.20 को परिचर्चा
रूपल की कविता – “सपनों के चिथड़े”
“सपनों के चिथड़े” आज मैंने जब देखा कांधे पर चढ़े तुम्हारे बच्चों की आँखें उनमें
रिया सिंह की कविता : “प्रेम”
“प्रेम” उन अंजान राहों में हुई थी मुलाकात उनसे जाने अंजाने में हुई थी बात
खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा की चंद लाइनें ….
पहले से जिंदा लाश की तरह जीने वाले समाज के गरीब तबके की जिंदगी को