डीपी सिंह की रचनाएं

हम तो जनसंख्या अपनी घटाते रहे और वो लश्कर पॅ लश्कर बनाते रहे धूर्त सत्ता

डी.पी. सिंह की रचनाएं

घर का दायित्व, कमज़ोर होने न दे कष्ट हो, पर पिता को वो रोने न

डी.पी. सिंह की रचनाएं

विपक्ष चरितम् आओ! भारत बन्द कराएँ शान्ति, विकास, प्रगति से खेलें, जाति धर्म का ज़हर

डी.पी. सिंह की रचनाएं

धर्म-निरपेक्षता के सिरे पर खड़े कैसे ज़िद पर अड़े हैं ये चिकने घड़े मालिकी की

डीपी सिंह की रचनाएं…

चरखा बोला मैं कभी, ले आया था क्रान्ति बुल्डोजर बोला तभी, मैं लाता हूँ शान्ति

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : वृद्धावस्था

।।वृद्धावस्था।। श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ अभी तो चेहरे पर झुर्रियां आएंगी गाल पोपले हो जाएंगे

डीपी सिंह की रचनाएं…

सनातन, शर, न ही शमशीर या गन-तन्त्र से हारा न ही यह राक्षसी उत्पात, काले

प्रतिभा जैन की कविता : उदासी

।।उदासी।। सुकून एक शाम में न मिला दिन भर रही उदासी हमारी चांद से चेहरे

राजीव कुमार झा की कविता : कोलकाता

।।कोलकाता।। राजीव कुमार झा भीड़भाड़ से भरा यह शहर आदमी यहां आकर काफी कुछ देखता

डी.पी. सिंह की रचनाएं

सुमुखी सयानी देख, परियों की रानी देख आँखें मूँद रूपसी की बातों में न आइये