छात्र-छात्राओं की कलम से : दीपों का त्योहार दिवाली
।।दीपों का त्योहार दिवाली।। हम मिलकर दीप जलाएंगे। सजाएंगे रंगोली से आँगन को, सब के
डीपी सिंह की रचनाएं
गन्दी सियासत का दोषी कौन? कैसे कह दें, नेताओं में हम आदर्श नहीं पाते काश!
डीपी सिंह की रचनाएं
क्यों नहीं सनातन के विरुद्ध यलगार सुनाई देती है, क्यों नहीं कालिया नागों की फुफकार
डीपी सिंह की रचनाएं
।।आओ! भारत बन्द कराएँ।। डी पी सिंह शान्ति, विकास, प्रगति से खेलें, जाति धर्म का
डीपी सिंह की रचनाएं
है पता सबको कि संस्कृति कूप में क्यों जा पड़ी है है खबर बेहतर सभी
भावनानी के भाव : भारत बुलंदियां छूकर नए आयाम बनता है
।।भारत बुलंदियां छूकर नए आयाम बनता है।। किशन सनमुखदास भावनानी भारत वैज्ञानिक दृष्टिकोण के फलक
डीपी सिंह की रचना : भारत के भविष्य की बात
।।भारत के भविष्य की बात।। डीपी सिंह मिथ्याचारी, भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी, सब साथ खड़े चौकीदार एक
भावनानी के भाव : चंद्रयान 3 सफल लैंडिंग
।।चंद्रयान 3 सफल लैंडिंग।। किशन सनमुखदास भावनानी विकसित भारत के शंखनाद का क्षण हमने देखे
विनय सिंह बैस की कलम से : चंदा मामा पास के!
चंदा मामा! ओ चंदा मामा!! भूल जाओ न पुरानी बात! खत्म करो कट्टी!! हमें पता
भावनानी के भाव : युवाओं में एक मंत्र की अति जरूरत है
।।युवाओं में एक मंत्र की अति जरूरत है।। किशन सनमुखदास भावनानी साझा करना और देखभाल