गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : ‘भूल गया’
।।भूल गया।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा मोबाइल पर मैसेज लिखते-लिखते खत लिखना ही भूल गया,
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : गोरखा
।।गोरखा।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा सीमाओं की रक्षक है गोरखा दुश्मनों के दुश्मन हैं गोरखा,
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की रचना : जिद्दी बनो
।।जिद्दी बनो।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा देश की परिस्थिति ऐसे हो गए है अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे
रुस और यूक्रेन की जंग पर गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : जंग रोक लो
।।जंग रोक लो।। गोपाल नेवार,’गणेश’ सलुवा उड़ती हुई धुएं की बवंडर ने सब कुछ खाक
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : जिंदगी का सफर
।।ज़िन्दगी का सफ़र।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा आलिशान महल बना लिए हो तो क्या हुआ
गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की कविता : होली आई रे
होली आई रे गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा आई होली का त्योहार रंगों में भरी है
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : इंसान बदल गया
।।इंसान बदल गया।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा वो भी एक जमाना था ये भी एक
गोपाल नेवार की कविता : भारतवासी है हम
।।भारतवासी है हम।। गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा कहते है भारत का रहने वाला भारतवासी है हम।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : जीवन के सफर
।।जीवन के सफर।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा आते है सुख के पल फिर निकल जाते
गोपाल नेवार ‘गणेश’ सलुवा की कविता
।।श्रद्धा हो तो ऐसी।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा दिल ने ये कहा आँख से दिल ने
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