डॉ. आर. बी. दास की कविता
इंसान हैं लेकिन फर्क सिर्फ इतना है, कुछ जख्म देते हैं, कुछ जख्म भरते हैं।
डॉ. आर.बी. दास की कलम से
।।जिंदगी।। डॉ. आर.बी. दास जो है जैसी है मेरी जिंदगी है, हां थोड़े तकलीफों से
संत कबीर दास
डॉ. आर.बी. दास, पटना। कबीर साहब का जन्म कब हुआ, यह ठीक-ठीक जानकारी नहीं मिल
डॉ. आर.बी. दास की कलम से…
यू ही नहीं जागती है, रात भर ये आंखे, मां पापा को संघर्षों से, जूझते
डॉ. आर.बी. दास की कलम से
।।मोहब्बत का अखबार आया है।। डॉ. आर.बी. दास सुबह सबेरे आंखों की दहलीज पर आया
डॉ. आर.बी. दास की कलम से
।।दर्द।। डॉ. आर. बी. दास कभी साथ बैठिए… तो कहूं कि दर्द क्या है… अब
डॉ. आर.बी. दास की कलम से
।।कहीं खो गया हूं।। डॉ. आर.बी. दास कहीं खो गया हूं इसलिए खुद को ढूंढने
डॉ. आर.बी. दास की कलम से…
।।रह गए।। डॉ. आर.बी. दास कुछ कहना चाहते थे हम, लफ्ज मुंह में ही रह
डॉ. आर. बी. दास की कलम से…
जानता हूं कि… कुछ कमियां तो है मुझमें भी, क्योंकि मैं कोई भगवान नही, गर
महाशिवरात्रि विशेष : साल में दो बार महाशिवरात्रि मनाया जाता है
डॉ. आर.बी. दास, पटना। हिंदू मान्यताओं के अनुसार साल में दो बार महाशिवरात्रि मनाया जाता