दुनिया है मां
मां ने जीना सिखाया,
सलीखा और फ़र्ज़ भी,
हिम्मत भी बनी मेरी,
और एक हमसफ़र भी ।
परिवार कैसे सम्हालना है,
और खुद को भी,
इसका उदाहरण,
मां के सिवा और कुछ भी नहीं।
मां शब्द से बड़ा,
ना कोई फर्ज़ ना कर्ज है,
मां से ही जुड़ा,
हम सबका अस्तित्व है ।
कैसी भी हो मां,
बच्चो के लिए भगवान है,
पर अपनी उम्मीद में,
ये मत भूल जाना,
के वो भी एक इंसान है ।
उम्मीद उसकी भी है,
जरूरतें उसकी भी है,
जीती है वो तेरे लिए,
पर ज़िन्दगी उसकी भी है ।
एहसास की, प्यार की,
वो भी हकदार है,
जी सके वो अपनी खुशी के लिए,
ये उसका अधिकार है ।
उसने तुम्हे ज़िन्दगी दी,
तुम उसे हसीं तो दो,
गर्व से के सके बच्चे है मेरे ये,
ऐसी उन्हें खुशी तो दो ।
मां है वो,
ज्यादा कुछ ना चाहा है,
ना चाहेगी,
बस अपना वक़्त दो उसे,
और वो खुश हो जाएगी ।
-संचिता सक्सेना