“जगत जननी”
जिसके सपने टूट कर भी,
एक आशा लेकर जारी है
गुणों से युक्त है वो पर
कहलाती दुखियारी है
क्या उसका भाग्य यही है?
जिसका नाम नारी है।
एक बगीचे को संभालती
बनकर वो माली है,
घर परिवार को जो बांधे बंधन में
उसका नाम नारी है।
सुख से अधिक दुख से
जिसका आंचल भारी है,
वह जननी है जगत की
उसका नाम नारी है।
है जन्म उससे, संसार उससे
तन – मन से बलशाली है,
ढाल बनकर तैयार है जो
उसका नाम नारी है।
रख दे यदि हांथ सर पर
युद्ध में फिर जीत हमारी है
खड़ी हो जाए जो समक्ष काल के
उसका नाम नारी है।
जो पिता की दुलारी थी
अब किसी और के घर की प्यारी है,
बेटी से जो मां हो गई
उसका नाम नारी है।
जिसके सपने टूट कर भी,
एक आशा लेकर जारी है
गुणों से युक्त है वो पर
कहलाती दुखियारी है
क्या भाग्य उसका यही है?
जिसका नाम नारी है।
-रिया सिंह ✍🏻
स्नातक, तृतीय वर्ष, (हिंदी ऑनर्स)
टीएचके जैन कॉलेज