चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा ना कहना…

राज कुमार गुप्त, हावड़ा : किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 ई. को खंडवा, मध्य प्रदेश में एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनका असली नाम आभास कुमार गांगुली था। इनके पिता कुंजोलाल गांगुली खंडवा शहर के जाने माने वक़ील थे। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार मुंबई में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे। किशोर कुमार बचपन से ही एक संगीतकार बनना चाहते थे।

किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फ़िल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म ‘पड़ोसन’ में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया, वही किरदार वे ज़िंदगी भर अपनी असली ज़िंदगी में निभाते रहे। हिन्दी सिनेमा में इलैक्ट्रिक संगीत लाने का श्रेय किशोर कुमार को जाता है।

किशोर कुमार को जितनी महारथ अभिनय में हासिल थी उतना ही अच्छा आवाज था उनका। उनके गाए हुए गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं। बॉलीवुड में कितने ही गायक आए और गए लेकिन किशोर दा की आवाज का जादू आज भी बरकरार है। साल 1946 में आई फिल्म शिकारी में पहली बार किशोर कुमार ने अभिनय किया था। इस फिल्म में उनके बड़े भईया अशोक कुमार भी थे।

हिंदी गानों के अलावा किशोर कुमार ने बंगाली और तमिल भाषाओं में भी कई सुपर हिट गानें दिए। किशोर कुमार ने जिन हीरो के लिए गाया, वो अमर हो गए। इससे अनुमान लगाया जा सकते हैं कि किशोर कुमार के पास कैसा हुनर था।

वैसे तो किशोर कुमार के कई किस्से हैं लेकिन मधुबाला संग उनका रिश्ता कुछ खास था। खास इसलिए क्योंकि मधुबाला से जिस वक्त किशोर कुमार को प्यार हुआ वो दिल की बीमारी से जूझ रही थीं। लेकिन प्यार पर किसका जोर चलता है। मधुबाला से शादी के लिए किशोर कुमार ने इस्लाम कुबूल कर लिया था। मुस्लिम होने के बाद किशोर कुमार ने अपना नाम करीम अब्दुल रख लिया था।

इन्होंने कुल चार शादियां की थी, 1958 में कोलकाता की रूमा गुहा ठाकुर से, इनके ही बेटे अमित कुमार हैं। दूसरी शादी 1969 में मधुबाला से, तीसरी शादी योगिताबाली से 1978 में तथा चौथी शादी 1980 में लीना चंदावरकर से की थी। इनसे इनके सबसे छोटे बेटे सुमित कुमार हैं। इनका निधन 58 वर्ष की उम्र में 1987 में मुंबई में हुआ था।

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