रीमा पांडेय की कविता : श्रद्धासुमन

श्रद्धासुमन

श्रद्धासुमन करो स्वीकार
हरो हमारे सारे विकार
स्मृतियों में बसने वाले
हे पूर्वज! तेरा आभार।

नाम से तेरे जाने जाते
तुझसे ही पहचाने जाते
उऋण कभी न हो पायेंगे
देवतुल्य तुम माने जाते।

करूँ श्राद्ध और तर्पण तेरा
सबकुछ तेरा, कुछ ना मेरा
मिले स्नेह और आशीष
जन्म-मरण का है यह फेरा।

पितृ पक्ष में तुम हो आते
मन में सदा मेरे बस जाते
जीवन के हो तुम आधार
करूणा, प्रेम सदा बरसाते।

रीमा पांडेय
(शिक्षिका, कवयित्री)

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