राष्ट्रीय कवि संगम ने धूमधाम से मनाई शिवाजी जयंती

शिवाजी महाराज को स्मरण किया राष्ट्रीय कवि संगम की बंगाल इकाई ने

कोलकाता। मराठा राज्य के महान सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम की मध्य कोलकाता इकाई ने, संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरधर राय की अध्यक्षता में एक अभूतपूर्व काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया। जिसमें संयोजन का भार सम्भाला मध्य कोलकाता के जिला अध्यक्ष रामाकांत सिन्हा एवं जिला महामंत्री स्वागता बसु ने। संचालन के दायित्व का निर्वाह किया सौमि मजुमदार ने। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह ने उपस्थित होकर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ आलोक चौधरी की सुमधुर सरस्वती वन्दना एवं पुष्पा साव के स्वागत भाषण के साथ।

तत्पश्चात, पटल पर उपस्थित सभी कलमकारों ने अपनी अपनी बेहतरीन रचनाओं की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को यादगार बना दिया। कार्यक्रम का आगाज़ किया प्रणति ठाकुर ने अपनी रचना ‘नारी तो सृजन है’ की प्रस्तुति देकर। उसके बाद श्याम सुन्दर बंसल ने ‘इंसानियत की पूजा’ सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। फिर जूही मिश्रा ने अपनी बेहतरीन रचना ‘मैं पतझड़ हूँ’ सुनाई। पूनम गुप्ता ने भी अपनी रचना ‘धरती माता ने हमें कितना कुछ है दिया’ सुनाकर खूब तालियाँ बटोरी। अनुराधा बारिक ने ‘जा रहा है शिशिर’ सुनाकर वसंत के आगमन का सन्देश दिया और सौमि मजुमदार ने ‘हे शिवराय महान हो तुम’ सुनाकर शिवाजी महाराज को काव्य के सुमन अर्पित किये।

सपना बनर्जी ने अपनी कविता ‘ज़िन्दगी’ में यथार्थवाद छलकाया और डॉ. अनिरुद्ध राय ने ‘मैं सिर्फ पिता रह गया’ प्रस्तुत कर एक पिता के दर्द को दिखलाया। प्रीति डांगी व् सुशील डांगी ने भी अपनी रचनाओं से सभी का दिल जीत लिया। स्वागता बसु ने अपनी लाजवाब रचना ‘हंसना झूठी बातों पर’ प्रस्तुत की और रामाकांत सिन्हा ने ‘तेरी राहों से गुजरेंगे, तेरी चाहों से गुजरेंगे’ सुनाकर महफ़िल ही लूट ली।

उसके बाद रामपुकार सिंह ने शिवाजी महाराज पर अपनी रचना ‘गौरव मराठा के रहे, आज़ादी के मतवाले थे’ सुनाकर समूचा वातावरण ओजमय कर दिया और अंत में प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरधर राय ने अपनी बेहद ही मर्मस्पर्शी रचना पढ़ी ‘कैसा सुन्दर घर था, जहां बाप से बेटों को लगता डर था’ और सभी के ह्रदय को छू लिया। काव्य गोष्ठी की यह अपूर्व संध्या जूही मिश्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ सुसंपन्न हुई।

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