सेवक हूँ निज देश का, विश्व करे #पहचान,
विस्मय चकित तथ्य सभी, भारत अपनी शान।1.
भूप भू-पति सभी यहाँ, लगते नहीं समान,
पीड़ा भी किस रोग का,रंक सदा किस भान।2.
द्वार कुंज निज राम का, तन भीतर उर आन,
राम राम #जप ही सदा, भाते मेरे हनुमान।3.
बात नहीं उद्धार की, और कहाँ बदहाल,
जो पुकारे धैर्य से, हो जाये कंगाल।4.
धर्म धर्म गा सब रहे, जो हृदय में लोलुप,
बैर-धर्म आतप जहाँ, तोड़ #क्लांत गुपचुप।5.
सब के तारणहार हैं, कृष्ण कहो या राम,
जै जै श्री राम जपो, या जपो #घनश्याम ।6.
यश खुशी भी जिसे मिली, वही सदा भयभीत,
कब कौन ठगी नयन का, सध जाये ठन मीत।7.
©रामा श्रीनिवास ‘राज’