राजीव कुमार झा की कविता : वसंत का आंगन

।।वसंत का आंगन।।
राजीव कुमार झा

जिंदगी के जंगल में
खुशियों का झंडा लेकर
वसंत सबसे मिलने
सुबह सुहानी हवा लेकर
आया
धूप में प्यार का सागर
लहराया
पेड़ों की डालियों पर
जाकर
हवा गीत गाने लगी
सबने उसे पास से देखा
मानो इस वक्त वह
पीपल के पास आकर
सबसे मन की बातें
कर रही हो
याद आती गर्मियों की
शाम
तुम्हारे शहर की झील
ठंडी हवा उसी तरह
प्यार में डूबी
वसंत की सुबह हर तरफ
फैली
दिखाई देती

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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