।।फागुन की मस्ती।।
राजीव कुमार झा
हवा इठलाती
घर आंगन से बाहर
आकर
गेहूं के खेतों में
झूम झूमकर गीत
सुनाती
सावन की याद
दिलाती
धूप की बारिश में
रंगों की फुहार से
भीगा तन मन
सबका
फागुन आकर
गोरी की चोली को
होली में रंगों से
रंगता
हाथों में पिचकारी
लेकर
बच्चे शोर मचाते
गालियों में
आते जाते लोगों पर
रंग उड़ेल कर
फिर आंगन में
आ जाते
फागुन में
पतझड़ का मौसम
आता
पेड़ों पर जीवन के
सुख दुख का
नया रंग छा जाता
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