राजीव कुमार झा की कविता : धान की क्यारी

।।धान की क्यारी।।
राजीव कुमार झा

पहली नजर में
निगाहें तुम्हारी
जिंदगी के
रंगो नूर से दूर
आकर देखती
सुबह की धूप प्यारी
यह महफिल
धूप भरी धान की
क्यारी
उस हार के बाद
क्रिकेट के मैदान में
पहली पारी
चांदनी में वह
रात काली

Rajiv Jha
राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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