।।चांदनी का गांव।।
राजीव कुमार झा
इस धूप में
कहीं मन को चैन
मिलता
प्यार का फूल खिलता
मौसम हरा-भरा होकर
बाग बगीचों के बाहर
गलियों में
गीतों की बहार के पास
भटकता कहता
धूप में पककर
धान पीला हो गया
आकाश नीला कह रहा
प्रेम की नदी
सबको अपने किनारे
बुलाती
अरी सुंदरी
तुम चांदनी सी मन के
गांव में जब आती
अंधेरे में रात
सभी दिशाओं में मुस्कुराती