राजीव कुमार झा की कविता : दोस्ती के दिन

।।दोस्ती के दिन।।
राजीव कुमार झा

तुम्हारे साथ बीते
मुहब्बत जिंदगी की
हकीकत
सुबह सबके मन की
ख़ामोश नीयत
महकते फूल खिलकर
राहों में कहते
यहां सबको
दुश्मनों को भी
मुहब्बत से सदा कहना
प्यार में घर पर अकेला
कभी नहीं रहना
दोस्तों को देखकर
हंसना
तुम्हारी अच्छाई
सबके मन को
यहां मोह लेती
अरी सुंदरी
इसी तरह जिंदगी
महकती बनकर चमेली
दोस्ती में हंसी ठिठोली
मौसम में बारूद की
गंध फैली
प्यार के रास्ते में
सुनाई देती
बंदूक की गोली
सहमी हुई होली

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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