।।कल का क्या भरोसा।।
आर.बी. दास
किसी की जिंदगी छोटी,
तो किसी की बड़ी होती है!
मौत किसी के दरवाजे पर,
तो किसी के सिर पर खड़ी होती है!
कौन जाने किसके हिस्से में,
कल का सूरज आयेगा कि नहीं!
जिससे मुंह फुलाकर बैठे हैं आज,
वो क्या पता कल मिल पाएगा या नहीं!
दिल से जुड़े रिश्ते को,
यूं न शक का शिकार बनाइए!
मन मुटाव के इस गांठ को,
इतना कस के न लगाइए !
ये वक्त की रेत हाथों से,
पल में फिसल जाएगी!
आप आवाज लगाते रहोगे,
और वो बहुत दूर निकल जाएंगे…!
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