पूनम शर्मा स्नेहिल की कविता : वो बचपन की यादें

वो बचपन की यादें

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बड़ी मासूम सी हैं वो बचपन की यादें,
आज भी भीतर आ गुदगुदा जाती हैं ।

कुछ सपनों को आज भी जगा जाती हैं,
राह अक्सर ये हमें न‌ई सी दिखा जाती है।

दो पल को ज़हन में आकर अपना बना जाती हैं,
मौज-मस्ती में बीते हर पलों की याद दिला जाती हैं।

वो बेफिक्री से दोस्तों के साथ वक्त बिताना,
कभी रूठना कभी मनाना आज बड़ा तड़पा जाती हैं।

संग जिंदगी है दोस्तों के ये समझा जाती हैं,
मुहब्बत का पहला पाठ ये हमें पढ़ा जाती हैं।

बड़ा सुकून था उन लम्हों में जब बांँटते थे हर खुशी,
बदलते दौर का ये आइना हमें दिखा जाती हैं।

बनकर यादें अक्सर छूती है हृदय को ,
और फिर आंँखों में नमी सजा जाती हैं।

बड़ी मासूम सी है वो बचपन की यादें ,
हर दिल के तहखाने में छुप कर बैठ जाती हैं।।

©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल☯️

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