सोनम यादव की कविता

कहाँ आ गये चलते चलते
और कहाँ जाना
भूल गए धरती की खुशबू
चिड़ियों का गाना

कलयुग समझा कल पर निर्मित
वसुधा कर डाली
कल के कारण मानव की सब
महनत धो डाली
नदियाँ सूखी, पर्वत टूटे ये है हरजाना
भूल गए धरती की खुशबू चिड़ियों का गाना

जंगल काटे, परवत बाँटे
बंजर उपजाये
कंकरीट के बाग लगाये
सन्नाटे भाये
हवा प्रदूषित जल भी दूषित
फिर क्या है पाना
भूल गए धरती की खुशबू चिड़ियों का गाना

रिश्तों के अनुबंध बिखरते
मनुहारे डोली
नगर गाँव परिवार भूलते
प्रीति सनी बोली
परव और त्यौहार विसरते सब कुछ अनजाना
भूल गए धरती की खुशबू चिड़ियों का गाना

सोनम यादव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × one =