प्रतिभा जैन की कविता : समझौता

समझौता

आहत तो बहुत हुआ है,
दिल जो तुमने तोड़ा है,
छिड़क कर नमक जख्मों पर,
अब समझौता न हुआ है।
अब पूछ न खैरियत ,
रिश्तों का कत्ल किया है,
अब समझौते की न उम्मीद कर
अहंकार अपनों ने किया है
दिल पर लगी चोट
रिश्ते न चलने देती
बदले के भाव समझौते न होने देती
कैसे बताऊं अपनो को
झूठी शान में
होटों को सिला लेते।

prativa jain
प्रतिभा जैन, कवित्री

प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश

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