आज़ादी के अमृत महोत्सव पर राष्ट्रीय कवि संगम की काव्याजंलि

कोलकाता। अंतरराष्ट्रीय संस्था राष्ट्रीय कवि संगम कि पश्चिम बंगाल इकाई अपने उद्देश्य- राष्ट्र जागरण धर्म हमारा के पथ पर अग्रसर है। हमें गर्व है कि हमारे देश में कुछ ऐसी संस्थाएं हैं जो कि राष्ट्र को जगाने का काम कर रही हैं उनमें राष्ट्रीय कवि संगम अग्रणी पंक्ति में आती है। ये उद्गार हैं डॉ. अमित कुमार दीक्षित, वरिष्ठ अनुवादक सेलसीएमओ कोलकाता, पश्चिम बंगाल के जो कि मुख्य अतिथि के रूप में आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में बोल रहे थे।

आज़ादी के इस अमृत महोत्सव में राष्ट्रीय कवि संगम की उत्तर कोलकाता इकाई के द्वारा डॉ. गिरिधर राय की अध्यक्षता में एक आभासी काव्यांजलि का सफल आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अमित कुमार दीक्षित उपस्थित रहे। उनके साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह, प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह एवं प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा और भी बढ़ा दी। इस काव्यगोष्ठी को सफल बनाने में उत्तर कोलकाता इकाई की मंत्री कामायनी संजय की भूमिका सराहनीय रही। उत्तर कोलकाता के अध्यक्ष डॉ. ए. पी. राय के स्वागत भाषण के साथ ही कार्यक्रम का आगाज़ हुआ।

काव्यगोष्ठी की शुरुआत हिमाद्रि मिश्रा की माँ वीणावादिनी की मधुर वंदना से हुई। इस अवसर पर, देशप्रेम से ओत प्रोत रचनाएँ प्रस्तुत कर, डॉ. गिरिधर राय, श्यामा सिंह, राम पुकार सिंह, देवेश मिश्र, आलोक चौधरी, हिमाद्रि मिश्र, राम नारायण मिश्र, उर्मिला साव कामना, रंजना झा, कौशिक दास, मीतू कानोडिया, राजीव मिश्र, आर.के.राय, स्वागता बसु, रामाकान्त सिन्हा, त्रिभुवन प्रसाद और इशिका आदि ने भारत की आज़ादी के लिए अपना बलिदान देने वाले अमर शहीदों को काव्यांजलि के माध्यम से अपने श्रद्धा सुमन चढ़ाए।

कार्यक्रम तब अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया जब मुख्य अतिथि डॉ.अमित कुमार दीक्षित ने अपनी बहुचर्चित कविता- अरे 2020 सुनाई, जिसमें उन्होनें वर्ष 2020 में घटित महामारी कोरोना से हुई वैश्विक त्रासदी का अत्यंत ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया।इस दौरान श्रोता के रूप में जय प्रकाश पाण्डेय, चंद्र मोहन राय, श्रीकांत राय, सीमा सिंह, दीपा ओझा, नितेश राय, दिनेश ठाकुर, सुतीक्षण कुमार, माया राय, भविष्य कपूर, नेहा पण्डे,अनुराग मिश्र आदि भी जुड़े रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन ओजस्वी युवा कवि देवेश मिश्र के द्वारा किया गया।

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