“मैं स्त्री हूँ”
मैं स्त्री हूँ
सुना था कभी लोगों से
देवी स्वरूप हूँ
क्योंकि मैं स्त्री हूँ
कहते हैं लोग अक्सर
तुम लक्ष्मी बनो
अपने आँगन की
तुम शिक्षादायनी बनो
वीणावादिनी सी
परिवार को बांधती
रक्षा सूत्र बनो
माता पार्वती सी
सब कुछ सह कर भी
नित निर्मल बहती रहो
गंगा की शीतल धारा सी
क्योंकि तुम देवी स्वरूप हो
तुम स्त्री हो
मैंने भी सब स्वीकारा है
और याद है मुझे
मैं स्त्री हूँ
पर भूल गए हो तुम सब
मुझमें काली भी है विकराली भी
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी भी
हे काली ! अपनी शक्ति हमे दो
दुष्टों का काल बनु
धर तेरा रूप अब
मैं भी विकराल बनु
हाँ मैं देवी स्वरूप हूँ
पर , देवी का हर रूप हूँ
मैं स्त्री हूँ।
~✍️दीपा ओझा
“शुभ नवरात्रि” देवी पूजन के साथ स्त्री सम्मान भी करें । 🙏