विजय कुमार गुप्ता की कविता : “सत्यमेव जयते”

“सत्यमेव जयते”

सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते
पीछे रह जाओगे असत्य के रहते
होगी जीत सत्य की कभी
असत्य थे मेरे हर तरफ कही
सत्य थी कही, असत्य से दबी
हर किसी को था असत्य का सहारा
सत्य रह गया अकेले बेसहारा
था पर अजय बलवान
चुप था स्थिर होकर
देख समय और हालात
खुश था असत्य
सत्य की खामोशी देखकर
था घमंड असत्य को
अपनी झूठी शान पर
सत्य थी वीर, न झुका कभी
सत्य बदल न सकेगा कभी
चाहे समय बदल जाए असत्य पर
समय युग बदल जाये
पर सत्य न बदल पायेगा
सत्य की होती रहेगी हमेशा जीत
पर असत्य न सत्य के आगे टिक पायेगा
सत्य का सहारा लो
एक दिन तुम भी बदल जाओगे
हर कदम में होगी जीत तुम्हारी
पीछे रह जायेंगे असत्य के रास्ते
सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते।

-विजय कुमार गुप्ता

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