राजीव कुमार झा की कविता : आसमान

।।आसमान।।
राजीव कुमार झा

इश्क के सुनहरे रंग
दमक रहे अंग अंग
सुबह की रोशनी के
संग
धूप भरे आकाश में
उड़ रहे
रंग बिरंगे मन के
पतंग
रास्ते में धूप छांव की
जंग
तुम्हारी मुस्कान
हरे भरे पेड़ों पर
जिंदगी की तान
प्रकृति की सुषमा का
नवगान
तुम्हारे यौवन की शान
शानदार पान
इश्क के फूलदान
याद आते
खेत खलिहानों में
महकते धान
समुद्र का वरदान
खुशी के बादल से भरा
आसमान

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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