।।होली।।
राजीव कुमार झा
उस दिन सुबह में
जरूर आना
अब नहीं चलेगा कोई
बहाना
रात की झील में
चांदनी का नहाना
बीता जमाना
शाम का गाना
होली के दिन
सुनाना
अबीर लगे गालों पर
गोरैया का चहचहाना
सुबह मुंडेर पर
धूप का छाना
बाग बगीचों में
हवा का गुनगुनाना