डॉ रश्मि शुक्ला की कविता : “सांता क्लाज़ की आभिलाषा”

“सांता क्लाज़ की आभिलाषा”

नया साल में नए निर्माण में सबको नये संकल्प लेना चाहिये।

प्रखरता सूर्य,वचन येशू,वर्षा ज्ञान समर्पण पुष्प जैसा चाहिये।

समय,श्रम,भाव अर्पण, विश्वास,मन
मधुरता,सुविचार चाहिये।

भिन्न चाहे इष्ट हो,या भिन्न पुजा-अर्चना मिलजुल कर रहना चाहिये।

राष्ट्र-जागरण की धारा लहराकर भाव-भुमि सबल चाहिये।

सुप्रभहरीश्रेष्ठ सजगता,शक्ति,प्रबलता से नया संसार रचना चाहिये।

नये-सूरज की किरण से क्रूरतम-दु:स्वप्न तम टूटना चाहिये।

बहुत ढोया है मनुजता ने,अँधेरे शाप की पीड़ा से छूटना चाहिये।

जनशक्ति को जाग्रत कर नव प्रवाह की दिशा में चलना चाहिए ।

ले मशाले ज्ञान की लोक- मंगल-पथ,सभी को सुझना चाहिये।

लोक सेवा के साथ प्राकृतिक की तन मन धन से सेवा करनी चाहिए ।

“रश्मि “कहती परमेश्वर से नव वर्ष मे मास्क,दोगज दुरी सेनेटाईजर से छुटकारा चाहिये।

डॉ रश्मि शुक्ला (समाजसेवीका)
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

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