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।।बस यही जिंदगानी है।।
डॉ. आर. बी. दास
यहां हर दिल में एक अधूरी सी कहानी है,
तन्हाइयों में हर किसी की जिंदगी रूहानी है!
बाहर से हर चेहरा हंसता हुआ नजर आएगा,
भीतर से टटोलोगे तो
हर आंखो में पानी है!
कुछ यादें लिए बैठे है
कुछ किस्से लिए बैठे हैं,
यहां लोग एक दिल के कई हिस्से लिए बैठे हैं!
बैठिए किसी के पास कुछ पल हमराह बनकर,
तभी जान पाएंगे दर्द की गहराइयां जम कर!
कोई “दर्द” कह देता है तो किसी को कहना नहीं आता,
कोई पत्थर बन जाता है तो किसी को चुप रहना नहीं आता!
सबकी आदत औरों को जानना है,
और अपनी छुपानी है,
चुप रह कर जिम्मेदारियां निभानी है,
बस यही जिंदगानी है!
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सलाहकार,
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,(UGC)
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