हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

हिंदी पत्रकारिता के सरोकार और संभावनाएं पर विचार व्यक्त किए विद्वानों ने

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला एवं पत्रकारिता और जनसंचार अध्ययनशाला द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी ‘हिंदी पत्रकारिता के सरोकार और संभावनाएं’ विषय पर केंद्रित थी। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी, वरिष्ठ कवि डॉ. राजीव शर्मा, इंदौर, कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, डॉ. प्रज्ञा थापक, भोपाल, डॉ. योगेंद्रनाथ शुक्ला, इंदौर, डॉ. मंजू तिवारी, भोपाल, प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए।

आयोजन को संबोधित करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में भाषा की सजगता बहुत जरूरी है। युवा पीढ़ी इस दिशा में सक्रिय हो। प्रत्यक्ष अवलोकन से पत्रकारिता और साहित्य में प्रामाणिकता आती है। युवाओं द्वारा किए जा रहे शोध समाज में जाने चाहिए। विभिन्न भाषाओं पर कार्य करने से एक दूसरे की संस्कृति को समझने के साथ राष्ट्रीय एकता में वृद्धि होती है। महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने कहा कि नए दौर की पत्रकारिता के सामने अनेक संकट मौजूद हैं। इस समय मीडिया की स्वायत्तता पर विचार की जरूरत है। अखबारों के डिजिटल एडिशन बढ़ते जा रहे हैं। जीवन की चुनौतियों को अनदेखा कर पत्रकारिता सार्थक भूमिका नहीं निभा सकती है।

कुलानुशासक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने व्याख्यान में कहा कि एक दौर में हिंदी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं के पत्रकारों ने अपना संपूर्ण जीवन लोकहित के लिए लगा दिया था। राष्ट्रीय नवजागरण और स्वाभिमान को जगाने में हिंदी पत्रकारिता की अविस्मरणीय भूमिका रही है। जातीय चेतना के अभ्युदय, आधुनिक विश्व के साथ हमकदमी, स्वतंत्रता प्राप्ति और राजनैतिक-सामाजिक चेतना के प्रसार में हिन्दी पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रजा के कष्टों और आकांक्षाओं का संवहन करते हुए संघर्ष की राह पर चलना हिंदी पत्रकारिता की शक्ति रही है।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजीव शर्मा, इंदौर ने कहा कि पत्रकारिता एक बेहद मुश्किल दायित्व है। पत्रकारों को निष्पक्ष और निडर होना चाहिए। हिंदी पत्रकारिता ने भाषा को लेकर इस प्रकार की अलख जगाई कि हिंदी राष्ट्रभाषा बन गई। शब्द को ब्रह्म कहा जाता है। हिंदी पत्रकारिता ने भारतवासियों की अस्मिता को प्रकट करने का अवसर दिया। पत्रकारिता को लेकर आशावादी दृष्टिकोण जरूरी है। आयोजन में अतिथियों ने अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका अक्षरवार्ता के नवीन अंकों का विमोचन किया। वरिष्ठ कवि एवं लघुकथाकार डॉ. योगेंद्रनाथ शुक्ला, इंदौर ने अपनी कविताएं सुनाईं। संगोष्ठी में डॉ. प्रज्ञा थापक, भोपाल, डॉ. मंजू तिवारी, भोपाल, प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा आदि ने भी विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अनेक शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों ने भाग लिया। संचालन प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन प्रो. डी.डी. बेदिया ने किया।

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