मनोज कुमार रजक की कविता : यह कैसी घड़ी आई?

धरती पर यह कैसी घड़ी आई है,
चारों तरफ पसरा है सन्नाटा,
किसे अभी यहाँ पैसा-धन चाहिए,
सभी को बस नव जीवन चाहिए।

हिन्दुओं को अब ना राम चाहिए
मुसलमानों को भी अब कहां रहमान चाहिए,
अब बस सभी को
कोरोना से निस्तार चाहिए।

विश्व में यह चर्चा
हो रही है ऐसे
कोरोना पर आदमी विजय पायेगा कैसे?
इसी बात पर अध्ययन हो रहा है,
तभी तो विद्वान इसकी दवा खोज रहे हैं।

अपनी जान की परवाह किये बिना,
हर घड़ी डॉक्टर, नर्स सेवा किए जा रहे हैं।
ना जाने कितनों को जीवन दान दिए जा रहे हैं,

इस जंग में हमारी भी कुछ भागीदारी है,
घर में ही रहना है कुछ दिन,
यही हमारी जिम्मेदारी है।

समय जरूर बुरा है
पर हम हारेंगे नहीं,
एक दिन हम करेंगें
कोरोना को इस भूमि से दूर।

-मनोज कुमार रजक

शोधार्थी, कलकत्ता विश्वविद्यालय

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