डॉ. आर.बी. दास, पटना। हिंदू मान्यताओं के अनुसार आज के दिन विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए उनसे ज्ञान और कला प्राप्त करने के लिए वसंत पंचमी को सरस्वती के रूप में मानते हैं। सरस्वती ज्ञान और चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं, वे वेदों की जननी हैं और उनके मंत्रों को “सरस्वती वंदना” भी कहते हैं। माना जाता है की सरस्वती शिव और देवी दुर्गा की पुत्री हैं। कुछ ग्रंथो में ब्रह्मा जी की मानस पुत्री होने का भी वर्णन आता है।
सरस्वती जी के आशीर्वाद से समस्त संशयों का निवारण हो जाता है।इनकी आराधना करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। माता को संगीत शास्त्र की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है। ताल, स्वर, लय, राग-रागिणी इत्यादि को इन्ही का देन माना गया है। इनका स्मरण सात स्वरों से भी किया जाता है। इन्हें स्वरात्मिका भी कहा गया है।
पुराणों के मुताबिक माता से सप्तबिद्य स्वरों का ज्ञान हासिल होता है। इन सबों के कारण ही इन्हें सरस्वती कहा जाता है। मां सरस्वती की पूजा आराधना में मानव कल्याण का समग्र जीवन दर्शन निहित है। सतत अध्ययन ही मां सरस्वती की सच्ची आराधना है।
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