कोरोना काल पर केंद्रित प्रथम काव्य कृति लॉकडाउन कालजयी है – प्रो शर्मा

  • शरद आलोक की काव्यकृति लॉक डाउन पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न

नार्वे में प्रवासी साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ का काव्य संग्रह लॉकडाउन कालजयी कृति है। लॉकडाउन में कोरोना संकटकाल में मानवीय सरोकारों को व्यक्त करती यह कृति साहित्यिक दस्तावेज है। इस कृति में विश्व में कोरोनाकाल के समय की चिन्ता और संवेदनाएं व्यक्त की गयी हैं। ये उद्गार अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध समालोचक एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में कुलानुशासक और कला संकाय के अध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने व्यक्त किए।

यह संगोष्ठी भारत नॉर्वेजियन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम ओस्लो नॉर्वे द्वारा आयोजित की गई, जिसमें देश दुनिया के अनेक रचनाकारों ने भाग लिया। आयोजन की मुख्य अतिथि केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की निदेशक डॉ. बीना शर्मा थीं। लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दी और आधुनिक भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह और डा. कृष्णजी श्रीवास्तव ने कहा कि सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ की ‘लॉकडाउन’ और साहित्य के शोध और गंभीर विवेचन की जरुरत है।

केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा की निदेशक डॉ. बीना शर्मा ने कहा, “यह गर्व की बात है कि विदेश में रहकर सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने दुनिया की कोरोनाकाल की पहली कृति हिन्दी को दी है।

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर की कुलपति प्रो. निर्मला एस मौर्य ने कहा कि मैंने चेन्नई में रहकर शुक्ल के साहित्य पर दो शोध कार्य कराये हैं पी एच डी और एम फिल। मैंने उनके साहित्य को बहुत बार पढ़ा है।

छत्तीसगढ़ मित्र के यशस्वी सम्पादक डॉ. सुधीर कुमार शर्मा, रायपुर ने लॉकडाउन को समाज का दर्पण बताया। दिल्ली हिन्दी अकादमी और संस्कृति विभाग के सचिव डॉ. जीत राम भट्ट ने लॉकडाउन को कोरोना काल की बहुत महत्वपूर्ण कृति बताया।

प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, लखनऊ ने लॉकडाउन कृति को समाज के सभी पहलुओं का विश्लेषण करने वाली कृति कहा। मराठी में लॉक डाउन का अनुवाद करने वाली सुवर्णा जाधव ने कहा कि कोरोनाकाल में महिलाओं की भूमिका और उनकी समस्याओं का बहुत अच्छा उल्लेख किया गया है।

कार्यक्रम के समापन में धन्यवाद देते हुए नव साहित्य त्रिवेणी, कोलकाता के संपादक कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड ने लॉकडाउन को राजनीतिक और सामजिक विमर्श की प्रतिनिधि कृति कहा। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव प्रभु चौधरी ने शुभकामनाएँ देते हुए शुक्ल जी को विदेशों में भारतीय संस्कृति और हिन्दी का राजदूत कहा।

अंतरराष्ट्रीय कवि गोष्ठी में भाग लेने वालों में प्रमुख थे समता मल्होत्रा (जर्मनी), राम बाबू गौतम (न्यू जर्सी, अमेरिका) और अशोक सिंह (न्यूयार्क अमेरिका), सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ और गुरु शर्मा (नार्वे), भारत से ओम सपरा (दिल्ली), डॉ. जीत राम भट्ट (दिल्ली), अरुणा घवाना (दिल्ली), डॉ. रश्मि चौबे (गाजियाबाद), इलाश्री जायसवाल (नोएडा), पूर्णिमा कौशिक (रायपुर), प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह (लखनऊ), डॉ. कृष्णा जी श्रीवास्तव और (लखनऊ), डॉ. वीरसिंह मार्तण्ड (कोलकाता) आदि।

लॉकडाउन काव्यसंग्रह पर केंद्रित परिचर्चा के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ देने वालों में हिमाचल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. हरमहेन्द्रसिंह बेदी, भारतीय दूतावास, ओस्लो के सचिव श्री प्रमोद कुमार, केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहायक निदेशक डॉ. दीपक पाण्डेय और डॉ. अमिता दुबे आदि सम्मिलित थे।

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