झाड़ग्राम : साहित्यिक पत्रिका “प्रचेष्टा”के पाँचवें अंक का हुआ लोकार्पण

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : अनेक विद्वान व गुणीजनों की उपस्थिति में साहित्यकार मुकुंदराम चक्रवर्ती द्वारा सम्पादित साहित्यिक पत्रिका प्रचेष्टा
का पाँचवाँ अंक झाड़ग्राम शहर के बालक नाट्य मंच में विमोचित हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत पत्रिका के संपादक मुकुंद राम चक्रवर्ती ने किया।

इस अवसर पर झाड़ग्राम जिला परिषद की अध्यक्ष चिन्मयी मरांडी, विद्यासागर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर चंदा घोषाल, झाड़ग्राम साहित्य अड्डा की संपादक बंशी मोहन प्रतिहार, स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर शशांक शेखर दास के पुत्र सुखमय दास, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक हैं
असित बरण सारंगी,

सुकुमार सेनगुप्ता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शांतनु पांडा, सुवर्णरेखा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लक्षिंदर पालोई, शिलदा चन्द्रशेखर महाविद्यालय के प्रोफेसर हरिपद घोष झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर और बांकुड़ा जिलों के सैकड़ों साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

पत्रिका के इस अंक में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में जंगलमहल और झाड़ग्राम के योगदान पर कई लेख समाहित हैं।

“अरण्यसुंदरी” खंड में झाड़ग्राम की कला, संस्कृति, पर्यटन स्थल, पूजा, मेले, यहां के लोगों का सामाजिक और आर्थिक जीवन शामिल है। नए और युवा कवियों को प्रोत्साहित करने के लिए “नए चेहरे” नामक एक अनुभाग है। कहानियों, लघुकथाओं और कथा साहित्य में अमर मित्र और भागीरथ मिश्र की रचनाएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

गुरुपद मुखर्जी ने “अलप दिश्का” शीर्षक खंड में संको थांथी कवि तुलसीदास माईती के बारे में आलेख लिखा है। उत्तर-आधुनिक युग के शास्त्रीय कवि-चित्रकार और संगीतकार।वासुदेव मंडल के बारे में कोलकाता की प्रोफेसर चंद्रावली सोम ने लिखा है।

लेखिका मधुमिता बेताल के विषय में राजा नरेंद्र लाल खान महिला महाविद्यालय की मौपर्णा मुखर्जी ने लिखा है। इस पत्रिका के इस अंक में कुल 92 कवियों, लेखकों, निबंधकारों, शोधकर्ताओं की रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।

समारोह में अपने स्वागत भाषण में अखबार के संपादक मुकुंद राम चक्रवर्ती ने कहा कि प्रयास की यात्रा 2015 में शुरू हुई। उन्होंने यह भी कहा कि “गणत यात्रा” के माध्यम से हर साल 11वीं कक्षा के 30 छात्रों को आवश्यक किताबें दी जाती हैं, पेड़ लगाना, राहत वितरण, जागरूकता बढ़ाना और समाचार पत्र प्रकाशन से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से वे कैसे प्रगति कर रहे हैं, इसका वर्णन किया।

वह यह भी बताते हैं कि भविष्य में प्लास्टिक प्रदूषण से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है और इस संबंध में हमारी आदतों में बदलाव कितना जरूरी है। इस दिन चिन्मयी मरांडी, चंदा घोषाल, बंशी मोहन प्रतिहार, सुखमय दास, असित बरन सारंगी ने अखबार के कवर का अनावरण किया।

नारायण महतो ने पारंपरिक जड़ी-बूटियों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उपस्थित अतिथियों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में जंगलमहल और झाड़ग्राम के योगदान और आदिवासियों की भूमिका आदि के बारे में चर्चा की। चंदा घोषाल ने बांग्ला साहित्य और वर्तमान पीढ़ी पर चर्चा की।

डॉ. शांतनु पांडा ने सांस्कृतिक विरासत पर भाषण दिया। काव्य पाठ में सबसे छोटी 9 वर्ष की ईशा चक्रवर्ती सहित कुल 25 कवियों ने भाग लिया। चार प्रतिनिधियों ने पाठ किया। मुकुंदराम चक्रवर्ती ने आयोजन के सफल समापन के लिए सभी संबंधितों को बधाई दी और धन्यवाद दिया।

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