राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की चाल में फंस गई जदयू, मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा

पटना । सियासत में शह-मात का खेल कोई नई बात नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव की सुगबुगाहट के बाद से ही बिहार में प्रत्याशी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सबकी नजर जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार पर टिकी थी। इस बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना कर ऐसी सधी चाल चली की जदयू के सामने मुर्मू के समर्थन के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा।

राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए जदयू के नेताओं ने नीतीश कुमार को योग्य उम्मीदवार बता चुके थे। बाद में हालांकि नीतीश कुमार ने खुद को इससे किनारा कर लिया था। दरअसल, नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव में अपने निर्णयों से चौंकाते रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से भाजपा और जदयू के रिश्ते पर भी गौर करें, तो विभिन्न मुद्दों को लेकर दोनो दलों के नेता आमने सामने आते रहे हैं, जिस कारण कहा जाता है कि दोनों के रिश्ते में गांठ पड़ी हुई है। इस कारण लोगों की खास नजर नीतीश पर टिकी हुई थी।

पिछले राष्ट्रपति चुनाव में जब नीतीश कुमार राजद के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे तो उन्होंने अलग लाइन लेते हुए राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। इससे पहले, 2012 में जब नीतीश कुमार बिहार में भाजपा के साथ सरकार चला रहे थे और उस वक्त प्रणब मुखर्जी यूपीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार बने थे तो नीतीश ने भाजपा से अलग लाइन लेते हुए प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति चुनाव के लिए समर्थन किया था। इस चुनाव में भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू के नाम पर ऐसी चाल चली की, जदयू को भी समर्थन देने के लिए विवश होना पड़ा।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर लिखा, राष्ट्रपति के चुनाव में गरीब परिवार में जन्मी एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिद्धांतत: महिला सशक्तिरण एवं समाज के शोषित वर्गों के प्रति समर्पित रहे हैं। जनता दल (यू) मुर्मू की उम्मीदवारी का स्वागत एवं समर्थन करती है। उल्लेखनीय है कि लोजपा (रामविलास) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा पहले ही मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *