जलपाईगुड़ी : कोर्ट के आदेश पर इस साल भी जलपेश मंदिर का गर्भगृह का प्रवेश द्वार रहेगा बंद

चैनल के जरिए शिवलिंग को जल चढ़ाएंगे भक्त

जलपाईगुड़ी l कोर्ट के आदेश के मुताबिक इस साल भी श्रावणी मेले में जलपाईगुड़ी के जलपेश मंदिर का गर्भगृह बंद रहेगा। चैनल के जरिए भक्तों को जल चढ़ाना होगा। श्रावणी मेला के मौके पर पिछले साल की तरह श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर शिव के मस्तक पर जल नहीं चढ़ा सकेंगे। इसके बजाय, पिछले साल की तरह चैनल बनाए जाएंगे। जिससे पानी गर्भ तक पहुंचेगा। आज मयनागुड़ी के ब्लॉक सामूहिक विकास अधिकारी सुभ्रा नंदी, मयनागुड़ी पुलिस स्टेशन के आईसी तमाल दास और अन्य पुलिस अधिकारी जलपेश मंदिर आए और जलपेश मंदिर समिति के कार्यालय की दीवार पर अदालत के दिशानिर्देश चिपका दिये।

इस अवसर पर बीडीओ ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने आदेश दिया है कि पिछले साल जो नियम थे वे लागू रहेंगे और इसी तरह पानी ढाला जाएगा। इसी दिन चैनल बनाने का काम शुरू किया गया था। एक विशाल स्क्रीन लगाई जाएगी। इस बीच, मंदिर प्राधिकरण ने उस चैनल का निर्माण शुरू कर दिया है। मंदिर के सचिव गीरिन देव ने कहा, पुलिस प्रशासन सुरक्षा के पूरे मुद्दे की देखभाल करेगा।

जल्पेश मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, चैनेल के माध्यम से जल चढ़ाने की व्यवस्था से सभी नाखुश

जलपाईगुड़ी। बंगाली कैलेंडर के हिसाब से सावन के तीसरे सप्ताह में जलपाईगुड़ी जिले के बाबा धाम जल्पेश मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी। लेकिन चैनल के माध्यम से बाबा पर जल चढ़ाने की व्यवस्था से श्रद्धालु नाखुश हैं। जल्पेश मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ पहुंचने लगी, लेकिन कोर्ट के आदेश के मुताबिक तीसरे हफ्ते से चैनल के जरिए शिवजी पर जल चढ़ाना होगा। चैनल के माध्यम से, बाबा पर जल चढ़ाने की तस्वीर का पुण्यार्थी जायंट स्क्रीन पर दर्शन कर सकेंगे।

इस अवसर पर जल्पेश मंदिर परिसर के चारों ओर मेले का आयोजन किया गया है। मंदिर परिसर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला पुलिस द्वारा बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया। मेले के व्यवसायी भी इस नई व्यवस्था से नाखुश हैं। उनका कहना कि अगर चैनल से जल चढ़ाया जाएगा तो श्रद्धालुओं की संख्या कम हो जाएगी। क्योंकि अगर उन्हें बाबा के दर्शन नहीं मिलेंगे तो वे मंदिर कैसे आएंगे। उन्हें लगता है कि इससे उनका कारोबार मंदा हो जाएगा।

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