भेंटवार्ता : मशहूर खलनायक तेज सप्रू के साथ

खतरनाक डॉन मुन्ना भाई बने हैं ‘चट्टान’ में  तेज सप्रू..!

काली दास पाण्डेय, मुंबई। “इंसपेक्टर… तुझे एक मिनट का टाइम देता हूँ अगर तूने मेरे आदमी को नहीं छोड़ा तो यहीं खड़े खड़े तेरी समाधि बना दुंगा और तेरी पुलिस स्टेशन को कब्रिस्तान”! 90 के दौर पर बनी म्यूजिकल एक्शन ड्रामा फिल्म ‘चट्टान’ के खूंखार डॉन मुन्ना भाई का किरदार निभा रहे 350 से भी ज्यादा फिल्मों में विलेनिश रोल्स और विविध किरदार निभानेवाले चर्चित अभिनेता तेज सप्रू की कुछ इस तरह की डायलॉग्स बाज़ी पुलिस इसंपेक्टर रंजीत सिंह (जीत उपेंद्र) के बीच मध्यप्रदेश के एक कस्बे देवपुर में लगे सेट पर चल रही थी।

मुन्ना भाई की धांसू एंट्री और चाल ढाल उस पर रोबीला चेहरा उनके चरित्र की पूरी कहानी बयां कर रहा था। वो दृश्य मेरे जेहन में कायम है और रहेगा। यूँ तो मैं तेज सप्रू की शक्ल से सैकड़ों फिल्मों से फैम्लियर रहा हूँ फिर भी ‘चट्टान’ में उनके खूंखार रोल की तारीफ सुनकर फिल्म इंडस्ट्री के इस नायाब कलाकार से पिछले दिनों मुंबई के यारी रोड स्थित उनके बंगले पर मिला। खूब मजेदार विंदास बातों का दौर चला। प्रस्तुत हैं बात चीत के प्रमुख अंश :-

** आपका बतौर अभिनेता बरसों का कैरियर रहा है आपने खल और विविध पॉजिटिव रोल्स किये हैं, आज आप अपने को कहाँ पाते हैं?

—“41 साल के कैरियर में अपनी पोजीशन की क्या बात करूँ चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर मनोज कुमार की फिल्म ‘शहीद ‘से शुरुआत की फिर मिथुन चक्रवर्ती के साथ सह हीरो बना सिनेमाटोग्राफर निर्देशक रवि नगाइच की फिल्म ‘सुरक्षा’ में बस फिर क्या था? ऑडियंस और इंडस्ट्री में अच्छी पहचान मिली। ‘राजपूत’, ‘गिरफ्तार’, ‘इंसाफ की आवाज’, ‘तेज़ाब’, ‘त्रिदेव’, ‘गुप्त’, ‘मोहरा’, ‘सिर्फ तुम’, ‘साजन’ आदि फिल्मों में नोटेबल रोल्स किये और आज सिल्वर स्क्रीन, स्माल स्क्रीन और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी  बा-इज्जत काम कर रहा हूँ। सभी के ब्राइट रिस्पांस मिल रहे हैं।”

** बदले मौसम में फिल्मों की मेकिंग और ऑडियंस की रुझान में भी फर्क आ गया है, आपने तो फिल्मों का गोल्डन पीरियड देखा है और इस समय भी एक्टिव हैं। फिल्म अंचलों की करंट पोजीशन पर आप किस तरह रियेक्ट करते हैं?

—-“हाँ टाइम फैक्टर तो हर लाइन में होता ही है l मैंने बहुत बढ़िया काम किया है फिल्मों और टी.वी. में खूब अच्छे चैलेंजिंग मौके भी मिले। यह मैं बहुत पहले ही समझ गया था कि टी.वी. बड़ा होने वाला है इसलिए मैं सीरियसली इसकी तरफ मुड गया। ‘सात फेरे’, ‘कुबूल है’, ‘सलोनी का सफर’, ‘यहाँ मैं घर घर खेली’, ‘ज़ी होर्रर शोज’, ‘हर फूल मोहिनी’ में काम किया। हाँ, 2019-20 में कोविड की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में डायनेमिक चेंज आया जिसका, थिएटर फिल्म मेकिंग डिस्ट्रीब्यूशन सभी प्रभागों पर बुरा इम्पैक्ट पड़ा, जिसकी मार सभी को सहनी पड़ी। मगर पिछले दो सालों में ओटीटी आया जिसकी वजह से प्रतिभा सम्पन्न गुमनामी में रहे कई कलाकारों को ब्रेक मिले, मुझे उम्मीद है पहले जैसा सब नार्मल हो जायेगा।”

** ‘चट्टान’ किस तरह की फिल्म है और आपके रोल की खासियत क्या है?

—-“जैसा कि मैं आपको संक्षेप में बता ही चुका हूँ कि ‘चट्टान’ 90 के फ्लेवर की जांबाज़ पुलिस इंस्पेक्टर रंजीत सिंह और शासन की शह पर गैर क़ानूनी अनैतिक काले धंधे में लिप्त डॉन मुन्ना भाई के बीच सच्ची टसल पर आधारित एक्शन म्यूजिकल ड्रामा फिल्म है। यह फिल्म मेरे कैरियर के लिए बहुत महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि बरसों के कैरियरग्राफ में मुझे मेन विलेन मुन्ना भाई का किरदार करने का मौका मिला है, मेरे रोल में कई शेड्स हैं, इस कैरेक्टर को मैंने खुद के मैनेरिज़्म पर प्ले किया है। कहानी, स्क्रिप्ट, डायलॉग्स, ड्रेसअप, लुक, लोकेशंस, म्यूजिक, सिंगर्स, बैक ग्राउंड और सभी कलाकारों की एक्टिंग स्किल्स 90 के दशक की याद दिलाएगी।”

** ‘चट्टान’ कंटेंट बेस्ड एक्शन ड्रामा म्यूजिकल फिल्म है जबकि फिल्म टी वी और ओटीटी पर डार्क सिनेमा का चलन हावी है ऐसे समय रियल इन्सिडेंटल फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर रिस्की नहीं है?

—-“बिलकुल नहीं फ़िल्में समाज का प्रतिनिधि है और सोसाइटी में जो घट रहा है लोग उसे ही पर्दे पर देखना चाहते हैं। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (जो कि सोशल फिल्म है) की सफलता इस बात का परिचायक है कि ऑडियंस फिर सोशल और पारिवारिक सिनेमा की तरफ लौटने लगी है। ‘चट्टान’ इस दृष्टि से कम्पलीट रियलिस्टिक सोशल फिल्म है इसके सभी पक्षों को बेहतर रखने की कोशिश पूरी टीम ने संजीदगी के साथ की है। निर्मात्री रजनिका गांगुली और मल्टी मीडिया निर्देशक सुदीप डी. मुखर्जी ने इसे बड़े अच्छे ढंग से बनाया है।”

** सुनने में आया है कि आप हिंदी फिल्मों समेत 13 भाषाओँ के फिल्मों में अलग अलग रोल्स कर रहे हैं जिनमें तेलुगु फिल्म सरदार पटेल के टाइटल रोल करने की चर्चा बहुत गर्म है, अलग अलग भाषा और विजन को कैसे मैनेज कर पाते हैं?

—-“जी हाँ, मैं भारत का एक मात्र अभिनेता हूँ जिसने हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, राजस्थानी, भोजपुरी, गुजराती, मराठी, हरियाणवी, बंगाली, तामिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में नेगेटिव रोल्स किये हैं। तेलुगु फिल्म ‘सरदार पटेल’ में शीर्षक किरदार करना सचमुच मेरे लिए बड़े गौरव की बात है।”

** ‘चट्टान’ में सुदीप डी. मुखर्जी के निर्देशन में आपके कैसे अनुभव रहे?

—“वह फैंटास्टिक क्राफ्टमैन है ‘चट्टान’ को कागज से सेल्युलाइड पर बखूबी उतारने के विजन में सुदीप बहुत माहिर रहे हैं। बिना किसी न्यू टेक्नोलॉजी और तामझाम के उन्होंने घरेलु माहौल में फिल्म कम्पलीट की और 22 सितम्बर को रिलीज करने जा रहे हैं।”IMG-20230826-WA0010

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