सूचना की बमबारी और फेक इनफार्मेशन की भरमार के इस दौर में मीडिया लिट्रेट होना समय की मांग

अंकित तिवारी, नई दिल्ली । भारतीय जनसंचार संघ, नई दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय मीडिया शिक्षिका संघ, नई दिल्ली एवं प्रेस्टीज कॉलेज इंदौर के जनसंचार विभाग के तत्त्वाधान में 15 मार्च, 2022 को मीडिया डिक्शनरी मीट 2022 का आयोजन किया गया जिसमें मीडिया डिक्शनरी परिवार के सदस्यों के अलावा पत्रकारों एवं मीडिया शिक्षा जगत के वरिष्ट शिक्षकों, प्रो. डॉ. रामजीलाल जांगिड, प्रो. डॉ. गीता बमेज़ई, प्रो. डॉ. संजीव भानावत, ओहीओ विश्वविद्यालय अमरीका से डॉ. जतिन श्रीवास्तव ने हिस्सा लिया। यह मीट मीडिया डिक्शनरी इनिशिएटिव के एक वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई। मीडिया डिक्शनरी इनिशिएटिव एक बहुभाषीय ऑडियो विजुअल मीडिया डिक्शनरी है, जिसमें आम नागरिकों को उनकी अपनी बोली भाषा में मीडिया से संबंधित जानकारी मीडिया टर्म के रूप में दी जाती है।

यह एक विनम्र रचनात्मक अभिनव प्रयास है आम जन को मीडिया सजग और मीडिया लिट्रेट बनाने का जिसमें मीडिया शिक्षक, शोधार्थी, पत्रकार एवं विद्यार्थी स्वतः स्फूर्त ढंग से अपनी अपनी बोली भाषा में मीडिया से संबंधित टर्म्स जैसे मीडिया ध्रुवीकरण, सेल्फी मेनिया, इनफार्मेशन ओवरलोड, इन्फोडेमिक, डेटा वॉर, इनफार्मेशन पोल्यूशन, फोमो आदि को उदाहरण, लोकोक्तियों और मुहावरों के ज़रिये सहज तरीके से छोटे छोटे वीडियो के रूप में रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साझा करते हैं।

जिस तरह से आज हमारी ज़िन्दगी में मीडिया का दखल बढ़ता जा रहा है। मीडिया हमारे रहन सहन, आचार विचार यहाँ तक कि पॉलिटिकल ओरिएंटेशन को भी प्रभावित कर रहा है। उसे देखते हुए हमारा मीडिया सजग होना आज और भी ज़रूरी हो गया है। इससे संभवतः कोई इन्कार नहीं करेगा कि आज का युग मीडिया युग है। मीडिया कितना शक्तिशाली है यह हम देख ही रहे हैं। समय की मांग है कि मीडिया के अगर तमाम खतरे हैं तो उससे बढ़कर उसके फायदे भी हैं, जिसको हम अनदेखा नहीं कर सकते। मीडिया को बेहतर ढंग से जानने समझने के लिए ही इस दिशा में 15 मार्च 2021 को मीडिया डिक्शनरी की नीव रखी गयी थी। जिसकी शुरुआत आम बोलचाल की भाषा हिंदी में सहज सरल शब्दों में मीडिया के उन टर्म को समझाने से हुई जो आम आदमी की ज़िन्दगी में भी मायने रखते हैं। इस एक वर्ष के दौरान आज यह मीडिया डिक्शनरी देश की बीस भाषाओँ और बोलियों के साथ साथ अंग्रेजी और फ्रेंच में भी सर्व सुलभ है।

अपने बीज भाषण में डॉ. जतिन श्रीवास्तव ने कहा कि मीडिया डिक्शनरी इनिशिएटिव एक बहुत ही यूनिक और प्रभावी प्रयास है और विभिन्न भारतीय बोलियों और भाषाओं में इसका आना इसे महत्त्वपूर्ण बनाता है और यह कदम स्वागत योग्य है। उन्होंने अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति की ताक़त पर जोर देते हुए भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों को दोहराया कि निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा मूल के मिटत न हिय को शूल। अपनी माँ की बोली में व्यक्ति सबसे सहजता से अपनी बात को रख और समझ पाता है इसलिए मीडिया जैसे जटिल विषय को समझाने के लिए आम जन की बोली भाषा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

कम्युनिकेशन टुडे जर्नल के संपादक डॉ. संजीव भानावत ने कहा कि मीडिया और संचार माध्यमों को लेकर कई बार मीडिया के विद्यार्थियों में बेसिक जानकारी का अभाव बहुत खटकता है, वैज्ञानिक शब्दावली आयोग के साथ भी जुड़ा पर वहां भी सिर्फ मीडिया के शब्दों का नीरस अनुवाद दिखा लेकिन जिस ढंग से मीडिया डिक्शनरी में समय के साथ बदलती तकनीक से संबंधित शब्दों को भी इसमें शामिल किया गया है और बड़े ही रोचक ढंग से उसके बारे में बताया जाता है वह सराहनीय है। अलग अलग राज्यों से लोगों का इस पहल में जुड़ना और अपनी बोली भाषा में मीडिया के बारे में लोगों को बताने का प्रयास करना मीडिया डिक्शनरी को सबसे अलग बनाता है। यह एक रचनात्मक अभियान है।

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया शिक्षिका संघ की अध्यक्ष एवं भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली की पूर्व प्रो. डॉ. गीता बमेज़ई द्वारा मीडिया डिक्शनरी इनिशिएटिव पर बनी डाक्यूमेंट्री एवं मीडिया डिक्शनरी के उर्दू रूपांतरण का लोकार्पण भी किया गया। उन्होंने कहा कि मीडिया डिक्शनरी, मीडिया को जानने समझने के लिए उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम है। जब भी हम कोई नया कदम उठाते हैं कोई नई पहल करते हैं तो कठिनाईयों का आना लाज़मी है पर उन कठिनाईयों से हम बहुत कुछ सीखते ही हैं। आज मीडिया डिक्शनरी के उर्दू रूपांतरण का लोकार्पण होना है और यह ये साबित करता है कि किस तरह हमारे यहाँ गंगा जमुनी तहजीब रही है जो प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।

इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी कश्मीर से डॉ. रूहीला हसन उर्दू मीडिया डिक्शनरी के लिए सहयोग कर रही हैं। डॉ. गीता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि उर्दू मीडिया डिक्शनरी जम्मू कश्मीर के आम लोगों को जोड़ने में महती भूमिका निभाएगी। आज हम मीडिया एम्बिएंट वर्ल्ड में रह रहे हैं और इस दुनिया को जानने में यह हमारी मदद करेगी। यह आम आदमी तक पहुंचे यही अभिलाषा है। इसका लोकतान्त्रिक होना ही इसे आम जन तक पहुंचाएगा।

मीडिया डिक्शनरी परिवार के सदस्य डॉ. रॉय क्षेमेन्द्र एक प्रोफेशनल कम्यूनिकेटर हैं जो मुंबई में टाटा कंपनी के लिए काम करते हैं और मीडिया डिक्शनरी के अंग्रेजी रूपांतरण के लिए सहयोग देते हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया डिक्शनरी महज़ मीडिया के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए ही उपयोगी नहीं है बल्कि यह हम जैसे प्रक्टिशनर के लिए भी उतनी ही उपयोगी है। यह एक अभियान है जिसका हिस्सा बनकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि अजय कुमार द्वारा किया जाने वाला पुत्तन का सपना मुझे धर्मयुग मैगज़ीन में एक करैक्टर ढब्बू जी जो आम आदमी का सिम्बल था उसकी याद दिलाता है। पुत्तन जिस तरह अवधी में एक कहानीकार की तरह अपनी बात कहते हैं वो सहज ही हमें आकर्षित करता है। सभी साथियों का जो प्रयास है वो सराहनीय है।

जम्मू से मीडिया शोधार्थी कुमर्जित चजगोत्र, अतुल मिश्र, डॉ. श्रुति गोयल, डॉ. विजेता तनेजा, बिहार से डॉ. राखी गौरवम, मेजा उत्तरप्रदेश से पत्रकार अंकित तिवारी, नौ वर्षीय वामिका पंड्या, अजय कुमार ने भी मीडिया डिक्शनरी से संबंधित अपने अपने अनुभव साझा किए। भारतीय जनसंचार संघ के अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय मीडिया शिक्षिका संघ के संस्थापक प्रो. डॉ. रामजी लाल जांगिड ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विविध भारतीय भाषाओं में मीडिया डिक्शनरी का आना ही इसकी सबसे बड़ी ताक़त है। जिस तरह से धीरे धीरे मीडिया डिक्शनरी इनिशिएटिव को सभी लोगों का प्रेम और समर्थन मिल रहा है वो हमारी ताक़त है। यह प्रयास सिर्फ मीडिया के शब्दों का संकलन ही नहीं है बल्कि यह शब्द कोष है, जिसमें हमने सभी सहयोगियों को यह स्वतंत्रा दी है कि आपके पास जब भी वक़्त हो आप सहयोग कर सकते हैं।

यह देश की विभिन्न भाषाओं के माध्यम से लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रही है और इसमें आप सभी का सहयोग अपेक्षित है। मीडिया डिक्शनरी इनिशिएटिव की पहली वर्षगांठ पर प्रोफेसर सुभाष धूलिया, डॉ. संजीव गुप्ता, फिल्म मेकर आदित्य सेठ, प्रो. डॉ. मनीषा पाठक शेलात, वरिष्ट पत्रकार गिरिजा शंकर एवं बीबीसी के पूर्व संवाददाता व मीडिया स्वराज से संस्थापक श्री राम दत्त त्रिपाठी, टाइम्स ऑफ़ इंडिया के प्रदीप बागची थे। हिन्दू बिजनेस लाइन के पत्रकार शिशिर सिन्हा, प्रो. शशिधर नंजुनदैया, कैमरून अफ्रीका से ओबाह रोसलिन एवं यूनाइटेड नेशन के सीनियर ह्यूमन राइट्स व टेक्नोलॉजी ऑफिसर स्कॉट कैम्पबेल ने भी अपनी शुभकामनाएं भेजी।

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