Howrah: हावड़ा स्थित रेलवे के सभागार में ‘साहित्योदय’ कोलकाता इकाई की कवि गोष्ठी

‘चुराकर नजर से नजर देखते हो, पिला के मोहब्बत असर देखते हो’

कवियों ने काव्य पाठ से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

कोलकाता : प्रथम लॉकडाउन के समय से ही लोगों में उत्पन्न निराशा और तनाव को दूर करने के लिए शुरू किए गए ‘कोरोना से जंग, साहित्योदय के संग’ अभियान के तहत कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। दूर दराज से आए कवियों ने अपने काव्य पाठ से जमकर तालियां बंटोरी।

हावड़ा स्थित रेलवे की नयी बिल्डिंग के सभागार में साहित्योदय की कोलकाता इकाई की ओर से कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी की रहनुमाई रेलवे के प्रशासनिक हिन्दी अधिकारी डॉ. रवि महापात्रा ने की। उन्होंने अपने बचपन की यादों को सबके साथ साझा किया। शहरीकरण में घुल जाने की स्थितियों पर अपनी भावपूर्ण कविता सुनाते हुए कहा कि मन किसी को दिया जाता है, लिया नहीं जाता। उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में गोष्ठी से उपर उठकर एक भव्य कवि सम्मेलन कोलकाता में किया जाएगा।

कवि गोष्ठी में डॉ. संजू कुमारी ने “नहीं सोचा था मैंने कि ऐसा अवसर भी आएगा” कविता पढ़ी। संदीप गुप्ता ने प्रेमपरक शानदार कविता पढ़ी। डॉ. रजनी शर्मा ‘चंदा’ ने गीतपरक लाजवाब कविता पढ़ते हुए कहा कि ‘…मैं रांची से चलकर कोलकाता जगाने आई हूं….। मौसमी प्रसाद ने ‘…जहां गंगा की पवित्र धारा धरा को समृद्ध करती है, उत्तर में हिमालय ॠंखला अद्भुत सौंदर्य बिखेरती है… ” का काव्य पाठ किया। साहित्योदय के संगठन मंत्री सुरेन्द्र उपाध्याय ने धरती और आसमान पर अपनी कविता का पाठ बेहतरीन राग में किया तो प्रबंध निदेशक संजय करुणेश ने “गाड़ी लागता हमरा गाड़ी लागता, सैंया ले द ना जहाज हमरा गाड़ी लागता” भोजपुरी गीत का भावपूर्ण पाठ किया।

साहित्योदय के संस्थापक और संरक्षक पंकज प्रियम ने साहित्योदय की लगातार बढ़ रही लोकप्रियता के बाबत जानकारी दी। कहा कि हम सब मिलकर साहित्योदय को उन्नति के शिखर और नई ऊंचाई की ओर लिए जा रहे हैं। उन्होंने इस काम में सबका साथ और सहयोग निरंतर मिलने की उम्मीद जताई। उन्होंने अपनी गजल “चुराकर नजर से नजर देखते हो, पिला के मोहब्बत असर देखते हो” से सबको मंमुग्ध कर दिया। काव्य गोष्ठी में सभी रचनाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी और पूरा साहित्योदय काव्य प्रेम से सरोबार हो गया।

साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम ने बताया कि साहित्य की सेवा में पिछले कई वर्षों से लगे साहित्योदय ने इस कोरोना काल को साहित्य सृजनकाल में बदल दिया है। लॉकडाउन समय की निराशा और तनाव को दूर करने के लिए बीते 22 मार्च से ही ‘कोरोना से जंग, साहित्योदय के संग’ अभियान चला रखा है जिसमें अब तक डेढ़ हजार से अधिक ऑनलाइन काव्य पाठ हो चुका है। एकल काव्य पाठ के भी ढाई सौ एपिसोड हो चुके हैं।

विश्व के सबसे अनूठे लाइव शो साहित्य संग्राम को पूरी दुनिया का असीम प्यार और समर्थन मिल रहा है। इसमें हरबार एक ज्वलन्त सामाजिक विषयों पर चर्चा और कवि सम्मेलन किया जाता है। साहित्योदय पेज को 60 से अधिक देशों के लाखों दर्शक देख रहे हैं। साहित्योदय सावन महोत्सव समेत आगामी कई अन्य रोचक कार्यक्रम प्रारम्भ हो रहे हैं। गौरतलब है कि साहित्योदय पिछले कई वर्षों से साहित्य कला और संस्कृति के उत्थान में जुटा है। इसके 117 देशों में 8 लाख से अधिक दर्शक हैं।

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