“शस्य श्यामला वसुंधरा से सिंदूरी गगन तक स्वर्ण किरणों के नव तान,
झरने गाते गीत नवल प्रतिपल, हवा छेड़ते मधुर सरगम के नव गान।
लाई है उषा संग अपने नूतन खुशी-संपदा, आज प्राची में नूतन वर्ष का,
मधुर कलरव करते विहग वृंद, नवल पुष्पयुक्त अभिनंदन नववर्ष का।”

श्रीराम पुकार शर्मा, हावड़ा । शस्य-श्यामला धरती सर्वत्र ही नव पल्लवित पादप-पुंज, सुवासित रंगीन पुष्प, भौंरों की मधुर गुँजार, पक्षियों के सामूहिक उल्लासित गान, दूर-दूर तक खेतों में लहराते स्वर्णिम फसलों आदि से अलंकृत व हर्षित हमारे हिन्दू नववर्ष 2079 का अभिनंदन करती प्रतीत हो रही है। खेतों में विविध फसलों के पकने की मंद-मंद खुशबू को लिये हवाएँ भी मदहोश इधर-उधर दौड़ती-भागती जान पड़ती हैं । हमारे धरती-पुत्र अर्थात कृषक संतान अपने खेतों में अपनी लह-लहाते स्वर्णिम फसलों को देख-देख कर सपरिवार आनंदित हो रहे हैं। कुछ दिनों के उपरांत ही उनके घर की कोठियाँ अन्न-दानों (लक्ष्मी) से परिपूर्ण हो जाएंगी। प्रकृति में मानव, पशु-पक्षी, यहाँ तक कि जड़-चेतन सभी अपने शीतजन्य-आलस्य भाव को त्याग कर सचेतनता को प्राप्त कर लिये हैं। शीत के प्रकोप से पर्ण विहीन हुए पादप-पुंज भी अब नवल पल्लवों और पुष्पों को धारण कर उल्लासपूर्वक ‘हिन्दू नववर्ष’ के अभिनंदन हेतु प्रस्तुत हो गए हैं।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के उदित सर्वशक्तिमान सूर्य और उनकी स्वास्थ्यवर्द्धक मनोहर भगवा किरणों से आभासित प्रातः बेला के साथ ही हम हिन्दुओं का नववर्ष (विक्रम संवतसर) प्रारंभ हो जा रहा है। प्रकृति में व्याप्त अंधकार स्वतः ही दूर होने लगा है, फलतः अज्ञानता भी दूर भागने लगी है। हमारे हिन्दू पूर्वजों ऋषियों-महर्षियों ने नववर्ष का शुभारंभ ऋतुराज वसंत से ही माना है। जब शीत ऋतु का अवसान हो जाता है। देश प्रांतर की धरती पर सर्वत्र ही खूबसूरत बहार दिखाई देने लगी है। हरे-भरे खेत-खलिहान स्वर्णिम खाद्यान फसलों से परिपूर्ण दिखने लगे हैं। समस्त चराचरों में खुशी का माहौल बना रहा है। सूर्य की स्वर्णिम प्रकाश-ताप युक्त किरणें प्रकृति में फैले विभिन्न रोग-किटाणुओं को नष्ट करते हुए जड़-चेतन सबको नई ऊर्जा से उदीप्त करने लगी है। ऐसे में हमारा हिन्दू नववर्ष सबको हर्षाते हुए प्रातः भगवा सिंदूरी किरणों के साथ हमारे द्वार पर दस्तक दे रहा है।

चैत्रमास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही हमारा नववर्ष विक्रम संवत 2079, का शुभारंभ हो रहा है, जो अंग्रेजी में 2 अप्रेल, 2022 तथा युगाब्द (कलियुग) 5123 वाँ वर्ष है। नए वर्ष का यह प्रथम दिन, तन-मन की शुद्धता सहित सर्व हर्ष-उल्लास का ही दिन है। हम सभी अपनी प्राचीन मूल्यवान परंपरा को न भूलें, बल्कि अपने ‘नववर्ष संवत्सर’ की महिमा को अपनी संतान सहित दूसरों को भी बताते हुए इसे बहुत ही हर्ष-उल्लास के साथ मनाएँ। आप सभी विद्व बंधुओं को ‘हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2079’ के शुभागमन पर हार्दिक बधाई और सुख-संपन्नता तथा सुन्दर स्वस्थ्य की शुभकामनाएँ।

श्रीराम पुकार शर्मा, लेखक

श्रीराम पुकार शर्मा
हावड़ा – 711101 (पश्चिम बंगाल)
ई-मेल सूत्र – [email protected]

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