
एक लम्बी प्रतीक्षा के बाद लंका विजय के उपरान्त प्रभु श्री राम अपने घर लौट रहे हैं। उनके स्वागत में कुछ शब्द-पुष्प अर्पित करता हूँ… डी.पी. सिंह
अभिनन्दन है राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!!
करबद्ध निवेदन है राघव! स्वीकार करें पूजन वन्दन
अभिनन्दन है राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!!
मर्यादा का मोल सिखाने त्रेता में वनवास सहे
पाँच शतक तक कलियुग में भी, कैसे कैसे त्रास सहे
आनन्दमयी बेला आई है अब जब सदियों बाद प्रभो
फिर देरी की बात कहाँ! निज भवन पधारें रघुनन्दन!
अभिनन्दन है राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!!
सबके भाग्य-विधाता हो कर भी कितने व्यवधान सहे
प्रश्न नये नित लोग उठाते, कितने ही अपमान सहे
हम अज्ञानी, आप क्षमा के और गुणों के सागर हैं
हम संसारी कुटिल मलिन मन, आप विमल शीतल चन्दन
अभिनन्दन है राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!!
मायापति! वेदान्त सार, हे सृष्टि नियन्ता, वेदात्मन!
राघवेंद्र! हे राम, रमापति, आत्मवते हे लोकात्मन!
कौशलेश! हे शत्रुजिते, कोदण्ड-पाणि, राजीव नयन!
रघुपुङ्गव! त्रैलोक्यनाथ प्रभु! बसें हृदय में स्पन्दन बन
अभिनन्दन है राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!!
अभिनन्दन है राम आपका, राम! आपका अभिनन्दन!!

जय श्री राम
शुभ दीपावली