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पटना । कमतर और मेरी उमर के नौजवानों, मैं जानता था!
सही सलाह मानोगे नही !
अब स्थिति यह है कि जिस हैप्पी न्यू ईयर के चक्कर में तुम रात-भर चीख-चीख कर अपना गला बैठा चुके! औकात से ज़्यादा दारू और खस्सी-मुर्गा से ठसाठस कर अपने निरीह पेट को मटका बना चुके, उस नए साल का आगमन विधिवत हो चुका और अब कुछ गंभीर तथ्यों पर विचार करने का समय है!!
कतिपय प्रश्न अब मुँह बाए तुम्हारे सामने उपस्थित है!
इकतीस और एक की रात संपन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के फलस्वरूप तुम अपनी जेब में जो सत्रह सौ साठ छेद कर चुके हो, उन्हें कैसे रफ़ू करोगे?
दोस्त थक चुके तुझे उधार देते-देते!
तेरा खूसट मालिक, जिसके अंदर तुम काम करते हो; तुम्हारी सेलरी बढ़ाने के लिए राज़ी नहीं है!
अब चाहे तुम प्रतिबंधित लॉटरी को बेचकर अपना घर भर रहे हो या फिर जमीन बेचने की दलाली कर रुपया कमा रहे हो या तो दारू बेचने की!
बिहार में त भैया आलम ये है कि यहां हर दस घर मे से दसवां घर का एक आदमी प्रॉपर्टी डीलर है और हर बीस घर मे से बीसवां घर का एक आदमी दारू का डीलर है!
ग्रामीण क्षेत्रों में मुखिया-वार्ड सदस्य के नाक के नीचे दारू का धंधा चरम पे है, वहीं शहरी क्षेत्रों में तो कहीं-कहीं वार्ड पार्षद ही शराब बेचवाने की कमान संभाले हुए है!
अपने ओनर का खास बने रहे और नौकरी बची रहे वही ग़नीमत! ये तो फिर भी ठीक है कि मकान मालिक भला आदमी है पर पेट केवल दारू से तो भरा नहीं जा सकता, वो तो रोटी माँगेगा ही!
फ़ोकट में रोटी बस लॉक डाउन में मिलती थी, पर अब तो कोरोना इधर आने में भी महीने-दो महीने का वक़्त लेगा!
और अभी आईपीएल में भी देर है, तो कहां से भरपाई करोगे भाय?
तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं, जीवन चलता है धन से! ज़्यादा धन मिलता है क़िस्मत से या कायदे से की गई मेहनत से! अब न तेरी क़िस्मत अच्छी है, ना ही तू मेहनती!
अपनी गाढ़ी कमाई के गिनती के रूपयों के साथ तूने कल और परसों रात जो निर्दयता बरती है! जो निरादर किया है लक्ष्मी जी का, उसका दंड मिलना तो निश्चित ही है!
लक्ष्मी के नाराज़ होने से क्या होता है?
क्या नहीं होता?
सबसे पहले तो दुनिया ही अपनी नहीं रहती!
लक्ष्मी अम्मा है इज्जत की! दुनिया उसी के आगे पीछे घूमती है, जिसकी गाँठ में पैसे हों! सरस्वती और लक्ष्मी का बैर हुआ करता था कभी! अब ये दोनो देवियाँ परस्पर गठबंधन कर चुकी! स्थिति यह है कि जिससे लक्ष्मी अप्रसन्न हो, उससे सरस्वती भी पल्ला झाड़ लेती है और जिस जातक के सर पर सरस्वती का हाथ न हो, लक्ष्मी उसे दूर से ही दुत्कार देती है! अपनी कल रात की हरकत से तुम यह बात साबित कर चुके कि तुम्हारा बुद्धि से भी कोई ज़्यादा लेना-देना है नही! ऐसे मे मानकर चलो कि तुम्हारे पर्स का कुपोषित होकर मर जाना लगभग तय है!!
ख़राब तो लगेगी पर सच्ची बात तो ये है कि दुनिया की भेड़-चाल में शामिल होकर तुम अपने नए साल की बोहनी बिगाड़ चुके! एक बार गाड़ी पटरी से उतर जाए तो उसे वापस पटरी पर लाना आसान काम नही! मान कर चलो अब तरह-तरह के बहाने इजाद कर उधार लेने से ही जीवन यापन होगा, अब तुम्हारा; इसके दुष्परिणाम भी होगे!
बहुत मुमकिन है कि बहुत जल्दी तुम्हारी शाहीखर्च वाली गर्लफ़्रेंड तुम्हारी पेट्रोल के अभाव में प्यासी मोटरसाइकिल की पिछली सीट से उतर कर किसी बनिए की बिगड़ी औलाद की बड़ी सी, खाती-पीती कार की अगली सीट पर बैठी नज़र आए और तुम, एक अकेला इस शहर में; वाली गति को प्राप्त हो जाओ!
हो सकता है मकान मालिक का धीरज टूट जाए और तुम सामान सहित खुले आसमान के नीचे हो और सबसे बुरा ये कि तुम्हारी बुझी-शकल देख कर तुम्हारा मालिक तुम्हें एक महीने की एडवांस सेलरी देकर दफ़ा कर दे! खुदा करे ऐसा न हो, पर जो तुम्हारे लच्छन है, उसे देखते हुए जो न हो जाए वही थोड़ा है!!
समझाया तो था पहले ही, मानना था ना!
ख़ैर जो बीत गई, सो बात गई; अब अगली सलाह सुनो! महात्मा बुद्ध के मध्यम मार्ग का अनुसरण करो! जो करना हो करो पर क़ायदे से करो, अति पर जाकर मत कूदो! अपने और अपने पर्स के स्वास्थ्य का ध्यान रखो!
अब आखरी मे सबसे जरूरी सलाह-
बड़े-बूढ़ो की बातों पर सीरियसली गौर करो! इसलिए करो, क्योंकि वो अपने अच्छे दिनों में ऐसी ही गतिविधियों में लिप्त रहने जैसी ढेरों मर्मांतक ग़लतियाँ कर चुके होते हैं! थोड़ा कहा बहुत समझना और अपना ख़्याल रखना! आज के लिए बस इतना ही!!!
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अमिताभ अमित – mango people