#Earth Day. No plastic, save the earth!

#Earth Day ।। प्लास्टिक नहीं, धरती बचाओ!

निशान्त, Climateकहानी, कोलकाता। कुछ दिन पहले ही दुबई में एक दिन में इतनी बारिश हो गयी जितनी साल भर में होती है. इसकी वजहें समझने के लिए तमाम कयास लगाए जा रहे हैं. कोई क्लाउड सीडिंग बोल रहा है कोई क्लाइमेट चेंज. क्लाउड सीडिंग अकेले जिम्मेदार नहीं हो सकती इस तीव्रता वाली बारिश के लिए. ऐसा माना जा रहा है कि बदलती जलवायु और क्लाउड सीडिंग का एक बिगड़ा प्रयोग इसके लिए जिम्मेदार है.

जलवायु परिवर्तन की वजह होती है ग्लोबल वार्मिंग. और ग्लोबल वार्मिंग की वजह होती है ग्रीनहाउस गैसों का पर्यावरण में घुलना. ग्रीनहाउस गैसें तमाम कारणों से पर्यावरण में घुलती हैं. एक वजह प्लास्टिक भी है. प्लास्टिक के उत्पादन और उपभोग में पृथ्वी के कुल ग्रीनहाउस गैस एमिशन का लगभग 3.3 प्रतिशत हिस्सा शामिल होता है. ये देखने में मामूली लग सकता है लेकिन प्लास्टिक का हमारी पृथ्वी पर दुष्प्रभाव व्यापक है.

प्लास्टिक प्रदूषण अब सभी प्रमुख महासागर घाटियों, समुद्र तटों, नदियों, झीलों, स्थलीय वातावरण और यहां तक कि आर्कटिक और अंटार्कटिक जैसे दूरदराज के स्थानों में भी दर्ज किया गया है. प्लास्टिक प्रदूषण के सबसे बड़े कारणों में हैं मैक्रोप्लास्टिक्स और पानी की बोतलें. ये सभी पर्यावरण में आधे अधूरे कलेक्शन और डिस्पोसल सिस्टम की वजह से पहुँचती है.

#Earth Day. No plastic, save the earth!

आज अर्थ डे है. इस साल की अर्थ डे की थीम है “प्लास्टिक वरसेस प्लेनेट” या प्लास्टिक बनाम धरती. और इस साल के अर्थ डे की इससे बेहतर थीम नहीं हो सकती थी. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी जीवनशैली में प्लास्टिक पर निर्भरता बढ़ती ही जा रही है. 

ऐसे में ये याद करना ज़रूरी है कि वो प्लास्टिक की थैली या पानी की बोतल जो आप फेंक देते हैं, वो हमारी धरती के लिए कितनी बड़ी मुसीबत बन गई है. प्लास्टिक का कचरा न सिर्फ हमारे आस-पास गंदगी फैलाता है बल्कि ये धरती को गर्म करने वाली गंभीर समस्या, जलवायु परिवर्तन को भी और खराब बना रहा है. चलिए, इसे ऐसे समझते हैं:

गर्मी बढ़ने से प्लास्टिक जल्दी टूटता है: वैज्ञानिकों को पता चला है कि जैसे-जैसे धरती गर्म हो रही है, प्लास्टिक भी तेजी से टूट रहा है. ये टूटकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाता है जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं. ये माइक्रोप्लास्टिक हमारे समंदरों को प्रदूषित कर रहे हैं, जीवों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और खाने में भी मिल रहे हैं!

जलवायु परिवर्तन से प्लास्टिक की ज़रूरत बढ़ती है: गर्मी की वजह से अक्सर खाना और ज़रूरी सामान खराब हो जाते हैं. ऐसे में डिब्बाबंद चीज़ों का इस्तेमाल बढ़ जाता है, जिनमें ज़्यादातर प्लास्टिक की पैकिंग होती है.

बस इतना ही नहीं, प्लास्टिक बनाना भी धरती के लिए अच्छा नहीं है:

कार्बन का बड़ा भंडार: जैसे गाड़ियों से धुआं निकलता है वैसे ही प्लास्टिक बनाने से हवा प्रदूषित होती है. 2015 में ही प्लास्टिक बनाने से 1.96 अरब टन कार्बन डाईऑक्साइड हवा में मिली! ये बहुत बड़ी मात्रा है और वैज्ञानिकों का अंदाज़ा है कि 2050 तक प्लास्टिक बनाने से होने वाले प्रदूषण का हिस्सा 13% तक पहुंच सकता है.

जीवाश्म ईंधन का साथी: 99% से ज़्यादा प्लास्टिक तेल और प्राकृतिक गैस से बनता है. ज़मीन से इन्हें निकालने में भी प्रदूषण होता है. सिर्फ अमेरिका में 2015 में प्लास्टिक बनाने के लिए ज़रूरी जीवाश्म ईंधन निकालने से करोड़ों टन कार्बन डाईऑक्साइड हवा में मिली!

#Earth Day. No plastic, save the earth!

अब सवाल उठता है कि किया क्या जा सकता है? आइये कुछ बातों पर ध्यान दें जिनकी मदद से हम सब मिलकर बदलाव ला सकते हैं:

  • कम से कम प्लास्टिक की थैलियां और बोतलें इस्तेमाल करें. क्या ज़रूरी है कि हर बार दुकान से प्लास्टिक की थैली लें? इसके बदले आप कपड़े की थैली इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • जो चीज़ें दोबारा इस्तेमाल की जा सकती हैं, उन्हें फेंके नहीं. प्लास्टिक के डिब्बों को फेंकने के बजाय उनमें दूसरी चीज़ें रखकर इस्तेमाल करें.
  • सही तरीके से रीसायकल करें. अपने इलाके में कौन-सा प्लास्टिक रीसायकल होता है, ये पता करके ही चीज़ें फेंकें.
  • प्लास्टिक बैन का समर्थन करें. बहुत से शहर और देश प्लास्टिक की थैलियों और डिब्बों पर पाबंदी लगाकर प्लास्टिक कम करने की कोशिश कर रहे हैं.
  • दूसरों को बताएं! अपने दोस्तों और परिवार को प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या के बारे में बताएं और ये भी बताएं कि वो कैसे मदद कर सकते हैं.
  • मिलकर हम प्लास्टिक का कम इस्तेमाल कर सकते हैं और जलवायु परिवर्तन से भी लड़ सकते हैं. इस अर्थ डे पर आइए हम सब ज़िम्मेदार बनें और “प्लास्टिक नहीं, धरती को बचाएं.”

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