डॉ. आरबी दास की कविता : सीखो

।।सीखो।।
आर. बी. दास

जब से परीक्षा वाली जिंदगी पूरी हुई है,
तब से जिंदगी की परीक्षा शुरू हो गई है,
आज मुझे एक नया अनुभव हुआ,
मैने अपने मोबाइल से,
अपना ही नंबर लगा के देखा,
आवाज आई …
The number you have call is busy…
फिर ध्यान आया
किसी ने क्या खूब कहा है…
औरों से मिलने में दुनिया मस्त है पर,
खुद से मिलने की सारी लाइन व्यस्त है…
कोई नहीं देगा साथ तेरा यहां,
हर कोई यहां खुद में ही मशगूल है,
जिंदगी का बस एक ही ऊसूल है यहां,
तुझे गिरना भी खुद है,
और संभलना भी खुद है,
जिंदगी में कोई टूटे तो उसे “संभालना” सीखो,
जिंदगी में कोई अगर रूठे तो उसे “मनाना” सीखो,
ये रिश्ते बड़े किस्मत वालों को मिलते हैं,
जिंदगी में रिश्तों को “निभाना” सीखो…!!

डॉ. राम बहादुर दास
सलाहकार,
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग,(UGC)

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