धीरे-धीरे जिंदगी ऐसी होती जा रही है कि…
अब किसी भी चीज की दिलचस्पी नहीं रही,
मानो सारी ख्वाहिश खत्म होते जा रही है,
अब कुछ पाने की चाहत ही नहीं रही,
अब ये होता है कोई बात करे तो ठीक,
नहीं भी करे तो कोई बात नहीं,
अब किसी से अपनी तकलीफ बताने का दिल नहीं करता,
ना ही किसी से विनती करने का दिल करता है,
अब हम जैसे भी हैं,
जिस किसी हाल में हैं ठीक हैं,
अब हम ना किसी से उम्मीद रखते हैं,
ना ही किसी से लगाव,
ना ही किसी के मोहताज हैं,
अब हम अकेले ही खुश हैं,
अब मुझे लोगों से दूर अकेले रहना अच्छा लगता है।
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