।।मन नहीं करता।।
डॉ. आर.बी. दास
कभी नींद आती थी…
आज सोने को मन नहीं करता,
कभी छोटी सी बात पर आंसू बह जाते थे,
अब रोने तक का मन नहीं करता,
जी करता था लूटा दूं खुद को या लूट जाऊ खुद पे…
आज तो रोने तक का मन नही करता…
पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को…
लेकिन आज मुंह खोलने को मन नहीं करता…
कभी कड़वी याद मीठे सच याद आते हैं…
आज सोचने तक का मन नही करता…
मैं कैसा था! और कैसा हो गया हूं!
लेकिन आज तो यह भी सोचने को मन नहीं करता…
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।