।।मौत जिंदगी से बेहतर।।
डॉ. आर.बी. दास
जिंदा थे तो किसी ने पास बैठाया नहीं,
अब खुद मेरे चारों ओर बैठे जा रहे हैं,
पहले कभी किसी ने मेरा हाल न पूछा,
अब सभी आंसू बहाए जा रहे हैं,
एक रुमाल तक किसी ने भेट नहीं किया जब हम जिंदा थे,
आज शाल और कपड़े ओढ़ाए जा रहे हैं,
सब को पता है ये कपड़े मेरे काम का नहीं,
मगर फिर भी दुनियादारी निभाए जा रहे हैं,
कभी किसी ने मुझे एक वक्त खाना न खिलाया,
अभी देशी घी मेरे मुंह में डाले जा रहे हैं,
जिंदगी में एक कदम कोई मेरे साथ न चला,
अभी फूलों से सजाकर कंधे पर उठाए जा रहे हैं,
आज पता चला,
मौत जिंदगी से कितनी बेहतर है…!!
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