।।डॉ. आर.बी. दास की कविता।।
टूट जाता है गरीबी में,
वो रिश्ता जो खास होता है,
हजारों यार बनते है,
जब पैसा पास होता है।
रोज याद न कर पाऊंगा,
खुदगर्ज न समझे लोग,
दरअसल छोटी सी जिंदगी है और
परेशानियां बहुत हैं…!!
मैं भुला नहीं हूं किसी को,
मेरे बहुत से अच्छे दोस्त है जमाने में…!!
बस जिंदगी उलझी पड़ी है…
दो वक्त की रोटी कमाने में…!!
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