साहित्यडीपी सिंह की कुण्डलिया Posted on January 20, 2021 by admin चलते हैं सरकार के, बिल पर बिल के बान। रहे विपक्षी बिलबिला, बैठे तम्बू तान।। बैठे तम्बू तान, सड़क पर हठधर्मी-से। हरकत से हैं चीन, पाक के सहकर्मी-से खोटे सिक्के नित्य, मूँग छाती पर दलते। जो हैं सभी रिजेक्ट, नहीं मार्केट में चलते।। प्रमोद तिवारी की कविता – कुरूक्षेत्रः मेरी नजर से (प्रथम भाग) लॉकडाउन से हैं पहले बेजार, अब तो ज़ुल्म मत करो सरकार