घर का दायित्व, कमज़ोर होने न दे
कष्ट हो, पर पिता को वो रोने न दे
नींद से आँखें बोझिल भले हों मगर
अपनों के सपनों का बोझ सोने न दे
डीपी सिंह
घर का दायित्व, कमज़ोर होने न दे
कष्ट हो, पर पिता को वो रोने न दे
नींद से आँखें बोझिल भले हों मगर
अपनों के सपनों का बोझ सोने न दे
डीपी सिंह