साहित्यडीपी सिंह की कुण्डलिया Posted on January 6, 2021 by admin चर्बी से वाराह की, कोई नहीं मलाल। चर्बी चढ़ी दिमाग़ पर, वही बनी है काल।। वही बनी है काल, अगर इतनी है दिक्कत। अपनी हो वैक्सीन, ज़रा सी करो मशक्कत।। काफ़िर का विज्ञान, भले कितना हो हर्बी लेकिन तुम्हें हराम, हो न हो कोई चर्बी।। Post Views: 6 डॉक्टरों ने बताया बीसीबीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को कब मिलेगी छुट्टी सिडनी टेस्ट : मयंक की जगह रोहित की हुई वापसी, नवदीप सैनी करेंगे टेस्ट डेब्यू, देखें प्लेइंग इलेवन