उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय देशभर में अपनी श्रेष्ठता साबित कर सके इसपर हुई चर्चा- राज्यपाल

200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार को कवर करने के लिए टीएमसीपी ने किया प्रदर्शन- शिक्षक परिषद के अध्यक्ष
-कुलपतियों की नियुक्ति अलोकतांत्रिक- तृणमूल कांग्रेस के पर्यवेक्षक मिथुन बैश्य

सिलीगुड़ी। उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में 14 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ राज्यपाल की बैठक आयोजित की गई। 12 विश्वविद्यालयों के कुलपति पहले ही सिलीगुड़ी पहुंच चुके हैं। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ ढाई घंटे की मेगा बैठक की। राज्यपाल सीवी आनंद बोस आज सुबह दार्जिलिंग से उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय आए। सूत्रों के मुताबिक, नवान्न पूरे मामले को अच्छी नजरिए से नहीं देख रहे हैं। 26 जून को राज्यपाल दार्जिलिंग की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे। उसी दिन, उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में कुलपति से मिलने के बाद, उन्हें परिसर में तृणमूल छात्र परिषद के विरोध का सामना करना पड़ा।

आज उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर, गो बैक के नारे और काले झंडे के साथ विरोध प्रदर्शन करने के साथ ही तृणमूल छात्र परिषद और समर्थक राज्यपाल की गाड़ी के सामने बैठ गये। जानकारी मिली है कि आज की बैठक छात्रों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कुलपतियों से बात करने के लिए है। इससे पता चलेगा कि कहां कमियां हैं और क्या जरूरत है, क्या किया जा सकता है। उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के तृणमूल कांग्रेस के पर्यवेक्षक मिथुन बैश्य ने कहा कि राज्यपाल ने बिना बताए पश्चिम बंगाल के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति अलोकतांत्रिक तरीके से की है। निर्वाचित राज्य सरकार की जानकारी के वगैर तानाशाही व्यवस्था के प्रभाव में राज्यपाल आज बैठक कर रहे हैं।

पिछले पांच वर्षों से दीक्षांत समारोह बंद है। उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय अब तक स्थायी वीसी की नियुक्ति नहीं कर सका है, इसलिए उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और शिक्षक परिषद के अध्यक्ष समर विश्वास ने आज इस बैठक के बारे में कहा, राज्य सरकार ने पिछले 11 वर्षों से उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय पर कोई ध्यान नहीं दिया है। उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय एक के बाद एक भ्रष्टाचार का शिकार होता जा रहा है। इस बैठक के अवश्य ही अच्छे परिणाम होंगे।

हालांकि, जो लोग राज्यपाल के आसपास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे केवल उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के 200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार को कवर करने के लिए हैं। राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में नियुक्त सभी कुलपतियों का वेतन नहीं रोक सकती है। हाई कोर्ट के इस हालिया आदेश के संदर्भ में राज्यपाल ने कहा, हाई कोर्ट का आदेश अंतिम है।  काला झंडा दिखाने के संदर्भ में उन्होंने कहा, लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन हो सकता है। बैठक के संबंध में उन्होंने कहा, एकमात्र मुद्दा जिस पर चर्चा हुई वह यह था कि विश्वविद्यालय भारत में अपनी श्रेष्ठता कैसे साबित कर सके।

दूसरी ओर, तृणमूल छात्र परिषद के विरोध प्रदर्शन का सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष ने मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा, “यह तृणमूल छात्र परिषद का विरोध नहीं है। यह तृणमूल कांग्रेस का विरोध है। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नियुक्त करने की टीएमसीपी की मांग का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा, ”इस मांग का कारण यह है कि तृणमूल को शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक भ्रष्टाचार करने का मौका दिलाना है।” दूसरी ओर, हाईकोर्ट के फैसले ने सभी कुलपतियों की नियुक्तियों को वैध करार दिया है। विश्वविद्यालय के कुलपति इससे खुश हैं। इस दिन कुलपतियों ने कहा, सच की जीत हुई है। नियुक्ति वैध थी और फैसला सत्य के पक्ष में था।

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